शिकायतों के आधार पर मंत्री पद से हटाए गए फग्गन सिंह कुलस्ते

भोपाल। मोदी कैबिनेट से हटाए गए स्वास्थ्य राज्य मंत्री और प्रदेश के वरिष्ठ आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते को परफॉर्मेंस के आधार पर नहीं, बल्कि शिकायतों के आधार पर हटाया गया। प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को मिलने वाली अनुमति के सम्बन्ध में कुछ शिकायतें पीएमओ को मिली थीं। इसी आधार पर पार्टी ने कुलस्ते से इस्तीफा मांगा।
सूत्रों के मुताबिक मोदी कैबिनेट से जिन मंत्रियों की छुट्टी हुई है, उनमे सभी को परफॉर्मेंस के आधार पर नहीं हटाया गया है। प्रदेश की मंडला आदिवासी सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते का काम नहीं करना, बहुत बड़ा मुद्दा नहीं था। उनके खिलाफ मेडिकल कॉलेजों को दी जाने वाली एमसीआई की अनुमति में भी हस्तक्षेप किए जाने का मामला हाईकमान के सामने आया था।
इसके अलावा उनके मुंबई दौरों से भी आलाकमान नाराज था। कुलस्ते के खिलाफ यह एक्शन पहले से ही निर्धारित था। इसी रणनीति के चलते मंडला जिला पंचायत की अध्यक्ष रहीं सम्पतिया उइके को भी राज्यसभा में लिया गया था। पार्टी सूत्र कहते हैं कि अब फग्गन सिंह का इस्तेमाल संगठन में किया जाएगा। प्रदेश से एक आदिवासी मंत्री की कमी को भरने के लिए बैतूल की संसद ज्योति धुर्वे के नाम पर भी विचार किया गया, लेकिन उनकी जाति को लेकर चल रहे विवाद के चलते मामला ठंडा हो गया।
शिवराज-तोमर की सिफारिश पर मंत्री बने वीरेंद्र कुमार
उधा पदस्थ सूत्र बताते हैं कि टीकमगढ़ के सांसद वीरेंद्र कुमार को मंत्री बनाए जाने की सिफारिश मूल रूप से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा की गई थी। दोनों नेताओं ने ही आलाकमान को बताया था कि वीरेंद्र कुमार सिर्फ दलित वर्ग के प्रतिनिधि नहीं हैं, बल्कि सही मायनो में वे दीनदयाल उपाध्याय के पदचिन्हों का पालन कर रहे हैं।
उमा भारती की शिकायतें काम आईं
गंगा सफाई अभियान की मंत्री रहीं उमा भारती के इस्तीफे को लेकर कई अटकलें चलती रहीं। बाद में उनका विभाग बदल दिया गया। सूत्रों का मानना है कि उनके पास मौजूद भारी-भरकम विभाग के कमजोर कामकाज से पीएमओ नाराज था। यही वजह थी कि भारती का विभाग बदल दिया गया।
सूत्र बताते हैं कि भारती ने कुछ महीनों पहले ही पीएमओ को पत्र लिखकर अधिकारियों द्वारा काम में असहयोग की शिकायतें कर दी गई थीं, जो उनके लिए मजबूत आधार बना। अब जो विभाग उन्हें सौपें हैं उसमें पेयजल और स्वच्छता विभाग की गाइडलाइन तीन साल में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खींच दी है। अब इसी लाइन पर काम होना है।
चाल, चरित्र और चेहरा एक-सा होगा
पार्टी सूत्रों की मानें तो आलाकमान ने सभी नेताओं को साफ संकेत दे दिए कि पार्टी का चाल, चरित्र और चेहरा एक-सा होगा। पार्टी किसी भी सूरत में अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करेगी।