इस अपराध के बाद भोपाल टॉप पर, देशभर में एमपी तीसरे स्थान पर

भोपाल। जागरुकता के प्रयासों के बावजूद देश भर में रैगिंग के मामलों में कमी आने के बजाय ये मामले बढ़ ही रहे हैं। रैगिंग के इस अपराध में देशभर में एमपी का नाम तीसरे स्थान पर है, तो एमपी में सबसे ज्यादा मामले भोपाल के हैं। एक्सपट्र्स ने रैगिंग के इन मामलों का कारण कानून का लचर होना और दोषी स्टूडेंट्स पर सख्त कार्रवाई न होना माना है। ये फैक्ट जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान…

* रैगिंग के मामलों में प्रदेश मेंभोपाल टॉप पर है।
* इस साल अब तक एमपी में रैगिंग के 34 मामले सामने आ चुके हैं इनमें अकेले 41 प्रतिशत मामले भोपाल के हैं।
* जनवरी से लेकर जुलाई तक शहर के अलग-अलग संस्थानों से 14 शिकायतें नेशनल एंटी रैगिंग हेल्पलाइन में हो चुकी है।
* पिछले दो हफ्तों के दौरान भोपाल के ही दो प्रतिष्ठित संस्थान नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट और मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (मैनिट) में रैगिंग के प्रकरण सामने आने के बाद यह मामला फिर से विवादों में आ गया है।

* नेशनल एंटी रैगिंग कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार देशभर में रैगिंग के 306 मामले समाने आए हैं।
* इनमें से अकेले मध्यप्रदेश से ही शिकायतों की संख्या 34 है।
* रैगिंग के इन मामलों में पहले और दूसरे नंबर पर उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल हैं। ्र
* मध्यप्रदेश रैगिंग के आंकड़ों के हिसाब से देश में तीसरे नंबर पर है।
* पिछले साल नेशनल एंटी रैगिंग हेल्पलाइन में भोपाल से कुल 15 शिकायतें दर्ज की गई थीं।
* इस साल जुलाई तक यह आंकड़ा 14 शिकायतों तक पहुंच गया है।
* पिछले साल भी रैगिंग के जितने मामले आए थे, उनमें से किसी के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई नहीं की गई।
* मैनिट में 30 जुलाई को रैगिंग का मामला सामने आया। हैरत की बात ये है कि इस शिकायत के दूसरे ही दिन एक और मामले की शिकायत की गई।
* 31 जुलाई को बीटेक प्रथम वर्ष के एक छात्र ने सीनियर के खिलाफ शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताडि़त करने की शिकायत की।
* इस शिकायत के बाद सोमवार को एंटी रैगिंग कमेटी ने छात्रों से बात की। यह मामला रैगिंग का न मानकर आपसी विवाद का बताया जा रहा है।

अब कसेगी लगाम
इन मामलों के सामने आने के बाद नए शिक्षण सत्र में सभी कॉलेजों में विवि की एंटी रैगिंग कमेटी को भी नीरिक्षण करने को कहा गया है। सभी संस्थानों को यूजीसी गाइडलान जारी कर दी गई है। आरोपियों पर इसके तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। यदि संस्थान इसका पालन नहीं करते हैं तो उनसे सख्ती से निपर्टा जाएगा।

राज्य 2017 2016
उत्तर प्रदेश 43 93
प.बंगाल 39 50
मध्यप्रदेश 34 55
कनाज़्टक 24 24
केरल 23 35
तमिलनाडू 20 33
महाराष्ट्र 17 29
ओडिशा 12 28
राजस्थान 12 20
बिहार 10 24