ग्राहकों को जीएसटी का फायदा नहीं देने वालों का कैंसल होगा लाइसेंस

एक जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने के बाद हेल्थकेयर, क्रेडिट कार्ड बिल, आइएसआइ मार्क हेलमेट और बीमा प्रीमियम महंगे हो जाएंगे। क्रेडिट कार्ड कंपनियों, बैंकों और बीमा कंपनियों ने तो ग्राहकों को इस संबंध में संदेश भेजकर अलर्ट करना भी शुरू कर दिया है।

अपोलो हॉस्पिटल के चेयरमैन प्रताप सी रेड्डी ने कहा कि कुछ सेवाओं और उत्पादों पर 15-18 फीसद तक का टैक्स लगाने के कारण जीएसटी के बाद कुल मिलाकर हेल्थकेयर की लागत बढ़ सकती है। यह और बात है कि स्वास्थ्य सेवा को नई व्यवस्था में कर से मुक्त रखा गया है। रेड्डी ने बताया कि यह सही है कि क्षेत्र के लिए जीएसटी नहीं है। लेकिन, कुछ सेवाओं और उत्पादों को 15 से 18 फीसद के टैक्स दायरे में रखा गया है। इस तरह जीएसटी के बाद अस्पतालों के खर्च में करीब दो फीसद तक की बढ़ोतरी होगी। यदि वास्तविक वृद्धि इतनी ही होती है तो अस्पताल इस खर्च को वहन करने की स्थिति में हैं। इससे ज्यादा बढ़ोतरी होने पर खर्च मरीजों पर डालना पड़ेगा।

स्टैंडर्ड चार्टर्ड और एचडीएफसी जैसे बैंक भी ग्राहकों को जीएसटी से संबंधित संदेश भेज रहे हैं। एबीआइ कार्ड और आइसीआइसीआइ प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस ने भी जीएसटी को लेकर ग्राहकों को सूचित किया है। वित्तीय सेवाओं और टेलीकॉम को 18 फीसद जीएसटी के स्लैब में रखा गया है। अभी ऐसी सेवाओं पर ग्राहक 15 फीसद सर्विस टैक्स अदा कर रहे हैं। एंडावमेंट पॉलिसी के प्रीमियम भुगतान पर 2.25 फीसद की दर से जीएसटी वसूला जाएगा। अभी ग्राहक ऐसी पॉलिसियों पर 1.88 फीसद सर्विस टैक्स देते हैं।

घटिया हेलमेट की बिक्री को मिलेगा बढ़ावा
हेलमेट निर्माताओं के संगठन आइएसआइ हेलमेट मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन (आइएसआइएचएमए) ने कहा है कि हेलमेट को 18 फीसद जीएसटी स्लैब में रखने से उद्योग को नुकसान होगा। इससे घटिया और सस्ते उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा। यह दोपहिया वाहन चालकों की सुरक्षा के साथ समझौता करने जैसा है। वर्तमान में हेलमेट पर 12.5 फीसद उत्पाद शुल्क लगता है। इस पर वैट की दर शून्य से 14.5 फीसद के बीच है जो राज्यों पर निर्भर करती है।