गुरमेहर कौर विवाद पर रणदीप हुड्डा ने कहा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक तरफा नहीं
रुपेशकुमार गुप्ता, मुंबई। एक्टर रणदीप हुड्डा ने जागरण डॉट कॉम से खास बातचीत करते हुए गुरमेहर कौर विवाद पर अपनी सफाई दी। रणदीप हुड्डा ने कहा, ‘सहवाग की दूसरी वाली बात पर बाद में हंस भी नहीं पाया। मैं डर गया था, मुझ पर चौतरफा हमला हो रहा था। मानो मुझे घेर लिया गया हो।
हालांकि मुझे इस बात का कोई भी खेद नहीं है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक तरफा नहीं हो सकती। अगर आप अपनी बात कहते हैं तो उसके विपरीत वाली बात सुनने की हिम्मत भी होनी चाहिए। एक्टर रणदीप हुड्डा जल्द एक म्यूजिक चैनल पर ‘बिग एफ’ नाम का शो होस्ट करते दिखाई देने वाले हैं। इस शो से जुड़े बुधवार को हुए एक कार्यक्रम में रणदीप हुड्डा ने जागरण डॉट कॉम से खास बातचीत करते हुए हाल ही में हुए गुरमेहर कौर विवाद पर अपनी बात रखी। रणदीप ने कहा कि, ‘गुरमेहर से ट्विटर पर बात हुई है। मेरा कहना था कि हिंसा गलत है। मैंने हिंसा होना गलत है यह बात कही। जो हुआ उसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए था। जो लोग करते हैं वह राजनीति करते हैं। उनका निजी हित होता है। वो अपना काम कर निकल जाते हैं। लोग फायदा उठाते हैं। मैं गुरमेहर को जानता ही नहीं हूं। मैं तो वीरेंद्र सहवाग की बात पर हंसा था। लेकिन वीरेंद्र की बात पर बाद में हंस भी नहीं पाया। मैं इतना डर गया था। मुझ पर चौतरफा हमला हो रहा था। मानो मुझे घेर लिया गया हो। इस बात का मुझे कोई खेद नहीं है। यह महत्वपूर्ण है कि इस पर चर्चा हो। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक तरफा नहीं हो सकती। अगर आप अपनी बात कहते है तो उसके विपरीत होने वाली बात सुनने की हिम्मत भी होनी चाहिए।’
इस बात को बढ़ावा मिलने का कारण भी इस मौके पर रणदीप ने बताया। उनके मुताबिक, ‘बॉलीवुड और क्रिकेट के कारण बात का बतंगड़ बन गया। सभी लोगों ने सारे ट्वीट पढ़े भी नहीं थे। सिर्फ लोगों ने हेडलाइंस पढ़ी और प्रतिक्रियाएं दी। दोनों ओर के लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं। वो आपस में बात नहीं करते हैं। इस मौके पर नारीवाद पर भी रणदीप हुड्डा ने अपनी सफाई दी और कहा, ‘सिर्फ महिलाएं नारीवादी नहीं हो सकती मर्द भी होते हैं। मैं भी नारीवादी हूं। मेरे लिए बराबरी का मतलब है नारीवाद। नारीवादी होने का मतलब उनकी बातों को कहना है। कई सारे कलाकार अपनी कला के माध्यम से नारीवाद का प्रदर्शन करते हैं। आप नारीवाद के चक्कर में मर्दो को हासिए पर नहीं धकेल सकते है। नारीवाद में सभी का समावेश होना चाहिए। अगर वह ज्यादा होता है तो वह लड़ाई का माध्यम बन जाता है।’