दिल्ली नहीं जाएंगे शिवराज, जानिए खुद क्या किया खुलासा
भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के दिल्ली जाने की चल रही अफवाहों को पार्टी और सरकार ने एक सिरे से नकार दिया है। खुद प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार चौहान ने साफ किया है कि शिवराज सिंह दिल्ली नहीं जा रहे हैं। हम प्रदेश में अगला चुनाव उन्हीं के चेहरे पर लड़ेंगे। वहीं, सरकार के प्रवक्ता और संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी साफ कर दिया है कि शिवराज के दिल्ली जाने का कोई प्लान नहीं है। वह प्रदेश में ही रहेंगे यह चर्चाएं सिर्फ होली की अफवाहें भर थीं, जो खत्म हो चुकी हैं। हालांकि इससे पहले सरकार के एक और मंत्री उमाशंकर गुप्ता का बड़ा बयान आया है। गुप्ता ने कहा है कि प्रदेश को शिवराज सिंह चौहान की जरूरत है और वह प्रदेश की कमान संभाल रहे हैं और आगे भी संभालते रहेंगे। वह दिल्ली या कहीं और नहीं जा रहे हैं।
खुद शिवराज बोले, नहीं जा रहा दिल्ली
गौरतलब है कि सोशल मीडिया में अफवाह है कि शिवराज सिंह चौहान को केंद्र में मंत्री बनाकर ले जाया जा सकता है। इतना ही नहीं, दावा किया जा रहा है कि वह मनोहर पार्रिकर की जगह लेंगे। अफवाहों के तेजी से बढ़ने के बाद पार्टी ने इस पर सफाई देना शुरू कर दिया है। खुद प्रदेश अध्यक्ष ने साफ कर दिया कि प्रदेश में सत्ता में चेहरे को बदलने का कोई प्लान नहीं है। अगला चुनाव भी शिवराज के चेहरे पर ही होगा और वह ही चुनाव में मोर्चा संभालेंगे। हालांकि खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी साफ कर दिया है कि वह दिल्ली नहीं जा रहे हैं। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में साफ किया कि उनका दिल्ली जाने का कोई प्लान नहीं है। जो भी चर्चाएं चल रही हैं वह सिर्फ अफवाह भर हैं। इसके सिवा कुछ भी नहीं। अभी प्रदेश में हूं और आगे भी रहूंगा।
शिवराज को एमपी में रहने के तीन कारण
1. शिवराज की छवि प्रभावशाली है। मध्यप्रदेश में लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। जमीनी पकड़ है। हर चुनाव जीत रहे हैं। ऐसे में उन्हें हटाकर पार्टी कोई बड़ा संकट नहीं झेलना चाहती है।
2. मध्यप्रदेश में पिछले चार साल में जितने भी उप चुनाव हुए, चाहे वो संसदीय सीट पर हों या फिर विधानसभा सीट पर, शिवराज का मैजिक असर किया। इस सभी चुनावों में भाजपा को जीत हासिल हुई।
3. शिवराज को एमपी में सीएम पद संभालते हुए 11 साल से अधिक का समय हो चुका है। छोटे से छोटे कार्यकर्ता के बीच शिवराज की पैठ है। ऐसे में उनकी सत्ता और संगठन में मजबूत पकड़ है। यहां पर पार्टी किसी नए नेता को लाकर इस समन्वय को खराब नहीं करना चाहेगी।
दिल्ली नहीं चाहती कि दूसरा गोवा बने एमपी
दरअसल, शिवराज सिंह को प्रदेश से बाहर लाने का सबसे बड़ा खतरा दूसरा गोवा तैयार करने जैसा होगा। ऐसा पार्टी के भीतर एक बड़े वर्ग की राय है। उसका मानना है कि पार्टी मध्यप्रदेश में मजबूत है और वहां पर शिवराज का विरोध भी नहीं है। ऐसे में शिवराज को वहां से हिलाकर पार्टी को संकट में डालने का कोई औचित्य ही नहीं है। यही वजह है कि पार्टी अभी शिवराज सिंह चौहान को अस्थिर नहीं करना चाह रही है। मध्यप्रदेश में जिस तरह से कांग्रेस नेता एकजुट हुए हैं। उस खतरे को भांप रही पार्टी जानती है कि कांग्रेस नेताओं से लड़ने का विकल्प शिवराज हैं।
पहली बार नहीं है ऐसी अफवाह
शिवराज सिंह चौहान के दिल्ली जाने की यह अफवाह पहली बार नहीं सामने आई है। इससे पहले भी कई मौकों पर उनके अस्थिर होने की चर्चाएं हुई हैं। लेकिन वह सभी चर्चाएं बनकर ही रह गईं। बिहार चुनाव के समय भी तेजी से अफवाह आई थी कि चुनाव पूरे होने के बाद शिवराज को दिल्ली बुला लिया जाएगा। लेकिन बाद में ऐसा कुछ नहीं हुआ।
अभी सामने हैं दो उपचुनाव
पार्टी के सामने अभी प्रदेश में दो महत्वपूर्ण उपचुनाव भी हैं। अटेर और बांधवगढ़ में विधानसभा उपचुनाव अप्रैल में होने जा रहे हैं। यह दोनों ही चुनाव प्रदेश सरकार और भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में पार्टी कोई भी रिस्क लेकर चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों के लिए मुश्किल नहीं खड़ी करना चाहती है