नोटबंदी ने बदल दी आम लोगों में निवेश की आदत, बैंक जमा और बीमा पॉलिसियों में हुआ इजाफा

नोटबंदी के परिणामों को लेकर केंद्र सरकार भले ही विपक्ष के निशाने पर है। अर्थव्यवस्था में पिछली तिमाही में आई मंदी के लिए भी इसे जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। लेकिन अर्थव्यवस्था से जुड़े जो नए आंकडेल सामने आ रहे हैं उससे यह पता चलता है कि इसकी वजह से आम जनता में निवेश की आदत बदली है। आरबीआइ की तरफ से शुक्रवार को देश की अर्थव्यवस्था पर जारी रिपोर्ट में पहली बार निवेश के तमाम स्नोतों से जुड़े आंकड़े सामने आये हैं। इसके मुताबिक पिछले वर्ष बैंक जमा में 43.27 फीसद और जीवन बीमा पॉलिसियों में 69.38 फीसद बढ़ोतरी हुई है तो शेयरों व डिबेंचरों में होने वाले निवेश में तो साढ़े तीन गुना की बढ़ोतरी हुई है।
आरबीआइ की रिपोर्ट में वर्ष 1976-77 के बाद से घरों की वित्तीय परिसंपत्तियों में होने वाले बदलाव के आंकड़े हैं जिससे यह साफ होता है कि पिछले 40 वर्षो में निवेश के दूसरे विकल्पों में इतनी तेजी से कभी वृद्धि नहीं हुई। इससे भी यह स्पष्ट होता है कि नोटबंदी के बाद लोगों ने घरों में रखे पैसे को निवेश किया। इसमें यह भी है कि वर्ष 2016-17 के अंत तक नकदी जमा समेत सभी निवेश प्रपत्रों में कुल 18,205.68 अरब रुपये की राशि लगाई है। यह इसके पिछले वर्ष के मुकाबले लगभग 19 फीसद ज्यादा है। एक वर्ष के भीतर निवेश प्रपत्रों में इतनी ज्यादा बढ़ोतरी भी अपने आप में रिकॉर्ड है।
पिछला रिकॉर्ड बताता है कि औसतन 5-7 फीसद की ही वार्षिक वृद्धि होती रही है। पिछले वित्त वर्ष बैंक खातों में जमा राशि 10,957.71 अरब रुपये रही है जबकि एक वर्ष पहले यह राशि 6,220.94 अरब रुपये की थी। जीवन बीमा पॉलिसियों में निवेश की राशि इस दौरान 2660.63 अरब रुपये से बढ़कर 4406.53 अरब रुपये की रह गई है। जबकि शेयरों व डिबेंचरों में निवेश की गई राशि 413.17 अरब रुपये से बढ़कर 1825.78 अरब रुपये हो गई है। गैर बैंकिंग जमा या भविष्य फंड जैसे निवेश प्रपत्रों में होने वाले निवेश में कोई खास बदलाव नहीं आया है। इससे भी यह साफ होता है कि नोटबंदी की वजह से लोगों ने दूसरे निवेश विकल्पों को आजमाया है।