gold mine – इस गांव की मिट्टी में दबा मिला सैकड़ोंं टन सोना, अब खुदाई की तैयारी

जबलपुर। संभाग में वैसे तो प्रकृति अपना खजाना लुटाया है। लेकिन बेशकीमती धातुओं का भी इसे तोहफा दिया है। संस्कारधानी से करीब 65 किमी दूर स्थित कटनी जिले के स्लीमनाबाद स्थित इमलिया गांव में सोने की खदान मिलने के प्रमाण मिले हैं। यहां जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा कराई गई ड्रिलिंग में जो सेम्पल मिले उसमें इस बात की पुष्टि भी हो रही है। ये सेम्पल अब नागपुर स्थित सेंट्रल इंडिया के मुख्यालय भेजे गए हैं। उल्लेखनीय हे कि कुछ वर्ष पूर्व भी यहां सोने की खदान मिलने की चर्चा हुई थी। जिसके बाद बड़ी संख्या में लोग उसे देखने पहुंचे थे, लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल भी तैनात कर दिया गया था।

विशेषज्ञों की मानें तो यहां स्लीमनाबाद के गांवों की जमीन में इतना सोना छिपा है कि उसके खनन से पूरे प्रदेश की सूरत बदल सकती है। जियोलॉजिस्ट प्रो. खन्ना ने पहले भी कहा था कि इस बेल्ट में सोने है। सूत्रों के अनुसार जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा पिछले दिनों करीब दो सौ फीट तक ड्रिलिंग कराई गई और उसकी मिट्टी नागपुर टेस्ट के लिए भेज दी। वहीं अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिक तौर सोने के सबूत मिले हैं, लेकिन इसकी गुणवत्ता और कितनी मात्रा में है ये अभी कहा नहीं जा सकता। सोने के साथ ही यहां कॉपर, तांबा सहित अन्य धातुओं की मौजूदगी के प्रमाण भी मिले हैं।
कुछ साल पहले स्लीमनाबाद स्थित एक गांव में भी सोना मिलने की हवा उड़ी थी, जिसके बाद बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए थे। अब इमलिया की जानकारी मिली है, जिसकी विस्तृत जानकारी जुटाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
-पीके तिवारी, खनिज अधिकारी, जबलपुर

प्रो. विजय खन्ना ने बताया कि स्लीमनाबाद बल्कि सीधी और रीवा जिलों में भी सोना मिलने के संकेत हैं। यहां गहनता के साथ शोध की आवश्यकता है। सोन नदी की रेत में लोगों को सोने के कण वर्षों से लोगों को मिल ही रहे हैं।
सतह पर ही सोने के प्रमाण
भारत की सबसे बड़ी सोने की खदान कोलार में है और यहां 1 किलोमीटर नीचे से सोने की खुदाई होती है, जबकि इमलिया में सतह पर ही सोने के प्रमाण मिलते हैं। सोना चट्टान के रूप में नहीं बल्कि छोटे-छोटे कणों में पाया जाता है। कई बार यह कण कुछ ग्राम से लेकर कुछ किलो तक के भी हो सकते हैं, पर अधिकांश सोना रेत जैसे कणों से ही मिलता है।