केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत और नर्मदा घाटी प्रभावितों में बहस
सरदार सरोवर बांध से प्रभावित ग्रामीणों के उचित पुनर्वास और विस्थापन की मांग को लेकर सोमवार को नबआं कार्यकर्ताओं और केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गेहलोत के बीच तीखी बहस हुई। मेधा पाटकर सहित डूब प्रभावित जब केंद्रीय मंत्री से चर्चा करने पहुंचे, तो बीच में भाजपा कार्यकर्ता आ गए। कार्यकर्ता प्रभावितों को मंत्री से मिलने नहीं देना चाह रहे थे। इसलिए दोनों ओर से खूब नारेबाजी हुई।
केंद्रीय मंत्री अधूरी चर्चा छोड़कर चले गए। उनके साथ सांसद सुभाष पटेल भी थे। मेधा पाटकर ने कहा कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिपालन की इतनी चिंता है, तो प्रभावितों के संपूर्ण पुनर्वास के आदेश का पालन करें। सुप्रीम कोर्ट में सारे झूठे प्रमाण-प्रस्तुत किए। सैकड़ों किसानों को जमीन नहीं मिली। यह अन्याय नर्मदा घाटी में लोगों के साथ हुआ। प्रभावितों का कहना था कि अयोध्या में राम मंदिर को लेकर राजनीतिक विवाद हो सकता है तो फिर नर्मदा घाटी में डूब रहे हजारों परिवारों व सदियों पुराने धार्मिक मंदिर व धरोहरों को बचाने पर क्यों नहीं ध्यान दिया जा रहा है।
सरदार सरोवर डेम के विरेध में नर्मदा बचाओ आंदोलन व डूब प्रभावितों का विरोध-प्रदर्शन जारी है। सोमवार को इस विरोध का सामना सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गेहलोत को भी करना पड़ा। केंद्रीय मंत्री गेहलोत बड़वानी आए थे। जैसे ही इसकी खबर डूब प्रभावितों को लगी, वे भाजपा कार्यालय पहुंचे और मंत्री को घेरकर अपनी समस्या बताने लगे। यहां मंत्री के ऊपर डूब प्रभावितों ने सवालों की झड़ी लगा दी।
एनबीए नेत्री मेधा पाटकर ने कहा कि आज बांध के कारण 18 हजार परिवारों पर डूब का खतरा मंडरा रहा है। शासन ने इनके पुनर्वास और रहने की कोई व्यवस्था नहीं की। 31 जुलाई तक प्रभावितों को गांव खाली कर जाने की धमकी दी जा रही है। यह सरकार की हठधर्मिता है। पुलिस के पहरे में यह कैसा विकास है। डूब प्रभावितों ने कहा कि गांवों में चलकर देखें की कैसे हम लोग जीवन गुजार रहे हैं।
इस पर मंत्री ने हाथ जोड़ लिए। उन्होंने सफाई दी कि मैं प्रदेश में पैदा हुआ, इसलिए सब समझता हूं। आप लोगों अपनी समस्या लिखित में मुझे दें, ऊपर तक भेज दूंगा। भरोसा रखें आपके साथ अन्याय नहीं होगा। एक तरह डूब प्रभावितों की अपनी परेशानी थी, तो वहीं केंद्रीय मंत्री ने आश्वस्त किया कि वे उनकी समस्या को लेकर मुख्यमंत्री से चर्चा करेंगे। दिल्ली में शासन के सामने प्रभावितों की समस्या रखूंगा। डूब प्रभावितों ने 8 फरवरी के सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेश में पुनर्वास नीति के पालन की बात कही, तो मंत्री ने कहा कि ऐसे किसी आदेश की मुझे जानकारी नहीं है।
भागीरथ धनगर, देवराम भाई ने बताया पुनर्वास केंद्रों पर कोई सुविधाएं नहीं है। हम लोग वहां कैसे रहेंगे।गांव में किसान, मजदूर और मछुआरे रहते हैं।उनके पास मवेशी भी है, अनाज है। शहर में किराए का घर लेकर इंसान तो रह सकते हैं, लेकिन गाय-बैल व मवेशी को कहां लेकर जाए। 30 जुलाई के पहले लोगों को हटाने की तैयारी चल रही है। हम पूछते हैं कि दो महीने में सरकार हमारा पुनर्वास कर सकती है। यदि नहीं, तो फिर बांध में पानी भरने की बात भी नहीं सोचें।