400 प्रोफेसरों का वेतन आधा करने के आदेश, सरकार ने एकेडमिक ग्रेड-पे भी घटाया

भोपाल.मप्र लोक सेवा आयोग की चयन परीक्षा और सीधी भर्ती से बने 400 से अधिक प्रोफेसरों का वेतन आधा होगा। इसके साथ उन्हें मिलने वाला एकेडमिक ग्रेड-पे जो 10 हजार रुपए है, उसे भी घटाकर 8000 रुपए कर दिया गया है। उच्च शिक्षा विभाग ने छह साल से चल रहे इस विवाद का निपटारा करते हुए यह बड़ा फैसला लिया है। इन प्रोफेसरों की भर्ती को लेकर आरोप है कि चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई थी। लंबे समय से यह मामला कोर्ट में था। हाल ही में निर्णय आया, जिसके बाद विभाग ने यह कदम उठाया।

बताया जा रहा है कि इसमें ज्यादातर आईएएस व आईपीएस अफसरों की पत्नियां और नेताओं के रिश्तेदार हैं जो भोपाल के शासकीय कॉलेज में पदस्थ हैं। उच्च शिक्षा विभाग अब आगे की प्रक्रिया प्रारंभ करने जा रहा है, जिसके तहत ज्यादा वेतन और एकेडमिक ग्रेड-पे ले चुके प्रोफेसरों से इसकी रिकवरी हो सकती है।
यूजीसी के नोटिफिकेशन के पहले ही भर्ती की प्रक्रिया पूरी की
छह साल पहले जनवरी 2009 में प्रोफेसरों के चयन का विज्ञापन निकाला गया। इसमें पात्रता के प्रावधान (यूजीसी द्वारा 2003 द्वारा जारी किए गए प्रावधान) तय किए गए कि स्नातक-स्नातकोत्तर कक्षाओं को पढ़ाने का 10 वर्ष का अनुभव हो। समय-समय पर यूजीसी जो योग्यता तय करे, उसे पूरी करता हो। उच्च गुणवत्ता का रिसर्च व पुस्तक प्रकाशित हो। पीएचडी हो। विवि या राष्ट्रीय संस्थान में अनुसंधान किया हो या सक्रिय हो। भर्ती के इस विज्ञापन से पहले ही यूजीसी गाइडलाइन के आधार पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया। साथ ही बता दिया कि प्रावधान जल्द जारी होंगे। प्रावधान आएं, इससे पहले ही भर्ती की प्रक्रिया पूरी कर ली गई। नए प्रावधान 2010 में आए। जिसमें दो अहम बिंदू थे कि शैक्षणिक निष्पादन सूचकांक के अंक जोड़े जाएंगे और राष्ट्रीय-विवि स्तर पर 10 रिसर्च पेपर व किताबें पब्लिश हों। इसी तरह यूजीसी ने तय किया था कि जो नए नोटिफिकेशन के तहत योग्यताएं रखेगा और प्रोफेसर बनेगा, उसे 37400-67000 का वेतनमान व 10 हजार एजीपी मिलेगा। मगर जब मप्र में भर्ती की विज्ञापन निकाला गया तब, वेतनमान 1200-420-18300 बताया गया। भर्ती के बाद तमाम प्रोफेसर ने यूजीसी वाला नया वेतनमान व एजीपी लेना शुरू कर दिया। जबकि वे पात्रता नहीं रखते थे। लोग इस चयन प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करते हुए कुछ लोग कोर्ट चले गए। तब से यह विवाद बना हुआ था।
विज्ञापन में एजीपी का जिक्र ही नहीं था
हैरानी वाली बात यह है कि मप्र में 2009 में भर्ती के लिए जो विज्ञापन निकाला गया था, उसमें 10 हजार रुपए एजीपी देने का जिक्र ही नहीं था। फिर भी इसे लिया जाता रहा।
न्यूनतम 45 हजार रुपए तक घटेगा वेतन
अभी एक प्रोफेसर को न्यूनतम करीब 85 हजार रुपए तनख्वाह मिल रही थी। एकेडमिक ग्रेड-पे (एजीपी) मिलाकर राशि 95 हजार रुपए कम से कम थी। यह अब आधी हो जाएगी। दरअसल प्रोफेसरों को अभी तक 37400-67000 वेतनमान था। इसमें एजीपी 10 हजार रुपए अतिरिक्त थे। नए आदेश में इनका वेतनमान 15600-39100 कर दिया गया है। साथ ही एजीपी 10 हजार की बजाए 8000 रुपए कर दी गई है।
कई साल से मामला विवादित था
बहुत साल से मसला विवादित था। नियमानुसार प्रकरण का निराकरण किया गया है। आगे भी कार्यवाही प्रक्रिया के तहत ही की जाएगी।’