मिशन-2018 की तैयारी : नंदकुमार हटेंगे, बीजेपी को मिलेगा नया प्रदेश अध्यक्ष
भोपाल.2018 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रदेश भाजपा में संगठनात्मक बदलाव के संकेत तेज हो गए हैं। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान का यह दूसरा कार्यकाल है। इस बार वे निर्वाचन प्रक्रिया के तहत अध्यक्ष बने हैं, लेकिन केंद्रीय स्तर पर नए सिरे से संगठन में जमावट की तैयारी हो रही है।
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में अभूतपूर्व सफलता मिलने के कारण इन संभावनाओं को बल मिला है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अभी से अगले साल होने वाले चुनावों की रणनीति बना रहे हैं। वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि अगले कुछ दिनों में भाजपा को नया अध्यक्ष मिल जाएगा।
पार्टी में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जो नंदकुमार को पंसद नहीं करते। शायद यही वजह है की वे अपने कार्यकाल के पहले ही बदले जा सकते है। वर्तमान अध्यक्ष का कार्यकाल दिसंबर 2018 तक है। ऐसे में नया प्रदेश अध्यक्ष भी मुख्यमंत्री खेमे से हो, ऐसी स्थिति फिलहाल नहीं दिखाई दे रही।
एक वजह और भी है कि सब जानते हैं नंदकुमार मुख्यमंत्री की पसंद के कारण प्रदेश अध्यक्ष बन पाए थे। उस समय भी मुख्यमंत्री को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। अब राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक समीकरण कुछ बदल गए हैं।
सूत्रों के अनुसार भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के कुछ सदस्यों के अलावा प्रदेश के कुछ सांसद भी इस प्रस्तावित परिवर्तन को हवा दे रहे हैं। यही नहीं भाजपा के एक दमदार पदाधिकारी ने भी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को नंदकुमार की कमियों से अवगत करवा दिया है ।
दावेदारों में दौड़
इस समय प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सांसद प्रहलाद पटेल, सांसद राकेश सिंह और संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा शामिल हैं। झा एक बार प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं।
महाकौशल को काफी समय से प्रतिनिधित्व नहीं मिला, लिहाजा तीन बार के सांसद राकेश सिंह प्रबल दावेदार बन सकते हैं। विजयवर्गीय भी शाह के करीबी माने जाते है।
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल प्रदेश के नेता फिलहाल इस दौड़ से बाहर दिखाई पड़ रहे है। इसी बीच राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तीन दिन के दौरे पर मप्र आ रहे हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि वे पूर्व के फीडबैक के आधार पर कुछ नई परिस्थितियों को टटोल सकते हैं। इसके बाद शाह केंद्रीय टीम में बदलाव करेंगे। जिसका असर राज्यों पर भी पड़ेगा।