छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बड़े बदलाव की तैयारी, भूपेश बघेल की हो सकती है छुट्टी
देश में पांच राज्यों के नतीजों के बाद कांग्रेस संगठन में बड़े स्तर पर सर्जरी की तैयारी चल रही है और छत्तीसगढ़ में पीसीसी अध्यक्ष भी बदलना तय हो गया है. कांग्रेस में चर्चा है कि एक महीने के भीतर पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल बदले जा सकते हैं.
पीसीसी अध्यक्ष बदलने की कई वजहें भी कई चर्चा में हैं. सबसे बड़ी वजह ये है कि देशभर के राज्यों से सत्ता से बाहर हो रही कांग्रेस छत्तीसगढ़ में 2018 में जीत दर्ज करना चाहती है, जिसके लिए प्रदेश नेतृत्व में बदलाव किया जा सकता है.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बड़े बदलाव की तैयारी, भूपेश बघेल की हो सकती है छुट्टी पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल
मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष क्यों बदले जाएंगे
19 दिसंबर 2013 को भूपेश बघेल प्रदेश अध्यक्ष बने, लेकिन साढ़े तीन साल के कार्यकाल में भूपेश बघेल को सरकार को घेरने के कई मौके मिले. धान खरीदी, बस्तर में आराजकता, महंगाई और शराब नीति, लेकिन सरकार के खिलाफ जन आंदोलन तैयार नहीं कर पाए. ना ही जनता के बीच कांग्रेस की स्वीकार्यता को बढ़ा पाए.
भूपेश बघेल से बड़े नेता नाराज बताये जा रहे हैं. उनके फैसले पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व को एकतरफा लगते हैं. पार्टी के अंदर लोगों का मानना है कि उनके पीसीसी अध्यक्ष बनने के बाद वरिष्ठ नेताओं के सलाह की तरजीह कम हो गई है.
भूपेश बघेल ने पार्टी के अंदर ऐसा कोई सिस्टम विकसित नहीं किया जो भाजपा की काट ढूंढे़ और सभी नेताओं को साथ लेकर चले. उनके पीसीसी अध्यक्ष रहते हुए इन दिनों पार्टी सबसे ज्यादा वित्तीय प्रबंधन के बुरे दौर से गुजर रही है.
कौन बन सकता है पीसीसी अध्यक्ष और क्यों
मोती लाल वोरा
वैसे तो मोती लाल वोरा कांग्रेस राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष हैं लेकिन उम्रदराज और स्वास्थ्यगत कारणों से छत्तीसगढ़ लौटना चाहते हैं. इसी वजह से उन्हें लेकर अध्यक्ष और एक कार्यकारी अध्यक्ष के फार्मूले पर चर्चा हो रही है. दूसरी वजह उनकी स्वीकार्यता पार्टी के सभी नेता में हो सकती है.
चरणदास महंत
चरणदास महंत पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. वो केंद्र और राज्य में मंत्री रह चुके हैं, उनका व्यक्तित्व विनम्र है, सभी पदाधिकारियों की सुनते हैं और सभी को साधने की क्षमता और वित्तीय प्रबंधन में माहिर हैं. इसके अलावा महंत दिग्विजय सिंह और अहमद पटेल के करीबी हैं.
रविंद्र चौबे
पूर्व नेता प्रतिपक्ष और मध्यप्रदेश में मंत्री रह चुके रविंद्र चौबे अच्छे वक्ता हैं और जनता को अपने भाषणों से आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं. दिग्विजय सिंह के करीबी हैं, जिसकी वजह वे पीसीसी अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हैं.