सूतक का असर न हो, इसलिए डाब से सजेगी महाकाल की पालकी

उज्जैन। श्रावण मास में सोमवार को रक्षाबंधन पर महाकाल की पांचवीं सवारी निकलेगी। हालांकि इस दिन रात्रि में चंद्र ग्रहण है। दोपहर 1 बजे से ग्रहण का सूतक लग जाएगा। धार्मिक दृष्टि से ग्रहण के वेधकाल में मूर्ति स्पर्श निषेध है। ऐसे में अवंतिकानाथ के नगर भ्रमण को लेकर भक्तों के मन में कई सवाल हैं। मंदिर के पुजारी सवारी की परंपरा को अक्षुण्ण बता रहे हैं।
उनका कहना है कि लौकिक मान्यता को निभाने के लिए पालकी को फूलों के साथ डाब से सजाया जाएगा। पुजारी प्रदीप गुरु ने बताया डाब जिसे कुशा कहा जाता है, अमृत स्पर्श तुल्य है। जहां डाब होती है वहां ग्रहण के सूतक का असर नहीं रहता है। इसलिए सोमवार के दिन भगवान महाकाल की पालकी को डाब से सजाया जाएगा। सवारी परंपरा अनुसार शाम 4 बजे शाही ठाठबाट के साथ निकलेगी।
आदि, अनादि हैं महाकाल
उज्जैन में स्थित दक्षिण मुखी महाकाल आदि, अनादि और अनंत हैं। इन पर दिन, रात, ग्रह, नक्षत्र, ग्रहण आदि का कोई प्रभाव नहीं होता है। लौकिक जगत की धार्मिक मान्यता के अनुसार ग्रहण का दोष बताया गया है। इसलिए ग्रहण काल में भगवान को भोग आदि नहीं लगाया जाएगा। सवारी परंपरा अनुसार निकलेगी।
शिप्रा आरती पर आज मंथन
श्री क्षेत्र पंडा समिति द्वारा मोक्षदायिनी शिप्रा के राणोजी छत्री घाट पर नित्य होने वाली संध्या आरती सोमवार को ग्रहण के वेधकाल में होगी या नहीं इसे लेकर शनिवार को मंथन होगा। अध्यक्ष पं.राजेश त्रिवेदी ने बताया मामले में धर्मशास्त्र के जानकारों का मत लेने के बाद को निर्णय होगा।
श्रावणी उपाकर्म होगा
गुर्जर गौड़ ब्राह्मण समाज द्वारा श्रावणी पूर्णिमा पर सुबह 7 बजे रामघाट पर श्रावणी उपाकर्म किया जाएगा। पं.उमाकांत शुक्ल ने बताया समाजजन उपाकर्म अंतर्गत हेमाद्री स्नान, दशविधिस्नान, शुद्धि स्नान के बाद यज्ञनोपवीत धारण करेंगे। तर्पण विधान, विष्णु पूजन, सप्तऋषि पूजन आदि धार्मिक कार्य करेंगे।