297 वर्ष बाद वैशाख पूर्णिमा को बन रहा है बुधादित्य योग, ऐसे होगा आपका फायदा
वैशाख पूर्णिमा पर 297 वर्ष बाद बुधादित्य सहित कई अत्यन्त शुभ योगों का संयोग बन रहा है। वैसे तो यह वैशाख पूर्णिमा है, जिसे बुद्ध पूर्णिमा या पीपल पूर्णिमा भी कहते हैं, जो अपने आप में ही बहुत मंगलदायी योग है। इसके अलावा इस बार वैशाख पूर्णिमा पर बुधवार, स्वाति नक्षत्र, तुला राशि का चंद्रमा, व्यतिपात योग और मेष राशि का सूर्य रहेगा।
पंडितों के अनुसार इस बार 10 मई को आ रही वैसाख पूर्णिमा पर बुधादित्य योग बन रहा है। इस योग को ज्योतिष में अति-दुर्लभ माना गया है। इस योग को दान-पुण्य, तीर्थ स्नान आदि के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
इसके साथ ही ग्रह-गोचर में भी गुरु-मंगल के नवम पंचम, गुरु-शुक्र का समसप्तक योग एवं शनि-मंगल का षड़ाष्टक व्यापार में वृद्धि से लेकर ऋतु परिवर्तन कराने वाला होगा। इसके पहले वैशाख पूर्णिमा पर ये संयोग 22 अप्रैल 1720 में बना था। सबसे खास बात यह है कि इस पूर्णिमा पर सूर्य भी अपनी उच्च राशि मेष में है जिसके चलते दान-पुण्य, घट दान, वस्त्र-भूमि आदि के क्रय-विक्रय के लिए भी इस योग को बहुत शुभ माना गया है।
ये कहा ज्योतिषियों ने
मंगल का नवम पंचम योग व्यापार में वृद्धि, गुरु-शुक्र का समसप्तक योग ऋतु परिवर्तन कराएगा। इसके साथ ही वैशाख पूर्णिमा आने से बुधादित्य सहित कई ग्रह नक्षत्रों की युति से योग संयोग एक साथ बन रहे हैं।
इसलिए है खास
इस बार यह योग शनि की गणना तथा गुरु के वक्रत्व काल से बन रहा है। यह अति दुर्लभ योग माना गया है। गुरु-शुक्र के समसप्तक योग से आने वाले समय में अच्छी बारिश की संभावनाएं बन रही हैं। शनि-मंगल के खड़ा अष्टक योग से देश की सैन्य शक्ति बढ़ेगी लेकिन न्याय तथा पुलिस के मामलों में देश के लिए विपरीत परिस्तिथियां बन रही हैं।
विवाह के लिए है अबूझ सावा
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व इसलिए भी काफी माना जाता है। इस दिन को पीपल पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। पुराणों में पापल का बड़ा महत्व है। वेदों-पुराणों और शास्त्रों में भी पेड़ों के महत्व को समझाने के लिए विशेष जोर दिया गया है। वहीं पीपल पूर्णिमा पर अबूझ सावा होने के चलते शहरभर में शादियों की धूम रहेगी। वहीं सामूहिक विवाह भी होंगे।