कहां जाएगी नन्ही जान, मां के बाद अब सिर से उठा पिता का साया
भरतपुर। रिक्शा चालक बबलू की बेटी की कहानी करीब साढ़े चार साल पहले सुर्खियों में आयी अब हर एक की जबान पर फिर से आ गई है। पहले मां और अब उसके सिर से पिता का साया भी उठ गया है। उसकी परवरिश फिलहाल शिशु गृह कर रही है।
गौरतलब है कि 2012 के नवम्बर महीने में बबलू की पत्नी ने एक बेटी को जन्म देने के बाद इस दुनिया को अलविदा कर दिया था। इसके बाद भरण-पोषण करने के लिए बबलू अपनी नवजात बालिका को गले में झूला डालकर रिक्शा चलाने लगा तो वह मीडिया की सुर्खियां बनने लगा। मीडिया में उसकी फोटो और खबर आने के बाद लोग उसकी मदद के लिए आने लगे और प्रशासन ने भी मदद करनी शुरू की।
प्रशासन ने बच्ची और उसके पिता बबलू के नाम से बैंक में खाता खुलवाया जिसमें जनसहयोग से करीब 18 लाख रुपए जमा हो गए। देखरेख के लिए तत्कालीन कलेक्टर ने कमेटी गठित कर वह पैसा दामिनी के बालिग होने तक बैंक में ही जमा रखना तय किया।
दामिनी के पिता का बुधवार को नुमाइश मैदान के पास एक कोठरी में सड़ा गला शव मिला तो सनसनी फैल गई। उसका दाह संस्कार पुलिस ने ही करवा दिया। ऐसे में साढ़े चार साल की उसकी बिटिया को अभी यह भी पता नहीं है कि उसके पालनकर्ता अब इस दुनिया में नहीं हैं। फिलहाल बच्ची शिशु गृह में है और वह अपने हमउम्र बच्चों के साथ खेलने में मस्त रहती है।
समिति के सदस्यों का कहना है कि जिला कलेक्टर से बात कर बच्ची को किसी बोर्डिंग स्कूल में भर्ती कराया जायेगा जिससे उसकी अच्छी तरीके से शिक्षा हो सके और उसका भविष्य उज्जवल बन सके।