चायनीज मेडिसिन में उपयोग के लिए विदेश में सप्लाई करते थे पैंगोलिन की खाल
कोर्ट ने इसमें से एक आरोपी को चार दिन की रिमांड पर एसटीएफ को सौंप दिया है। वहीं दूसरे को 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में रखा गया है। पकड़े गए आरोपियों के पास से तीन सौ ग्राम पैंगोलिन की खाल बरामद हुई थी। एसटीएफ के साथ भोपाल की एसटीएफ और सबलगढ़ वन विभाग की टीम भी शामिल थी। अभियोजन अधिकारी सुधा विजय सिंह ने बताया कि नंदलाल और आजाद सिंह के पास से टीम ने पैंगोलिन (चीटी खोर) की तीन सौ ग्राम खाल बरामद की थी। सबलगढ़ वन विभाग की टीम ने दोनों आरोपियों को मुरैना कोर्ट में 6 मई को पेश किया था। चूंकि एसटीएफ के अधिकार क्षेत्र के लिए सागर कोर्ट अधिकृत है, इसलिए एसटीएफ ने दोनों आरोपियों को ट्रांजिक रिमांड पर लेते हुए सागर कोर्ट में पेश किया था।
दर्ज हैं कई मामले
अभियोजन अधिकारी सिंह ने बताया कि पकड़े गए दोनों आरोपियों पर पैंगोलिन के अलावा कछुए की खाल की तस्करी करने के आरोप भी हैं। इनके ऊपर पहले से कई मामले दर्ज हैं। एसटीएफ का मानना है कि पैंगोलिन की अंतरराष्ट्रीय तस्करी हो रही है। यह आरोपी इस गिरोह में शामिल हैं। आजाद सिंह को चार दिन की रिमांड पर लिया गया है। एसटीएफ को पूरी उम्मीद है कि रिमांड के दौरान कई और तस्करों के नाम समाने आएंगे।
पिता से बरामद की थी 27 किलो खाल
वर्ष-2016 के अंत में आरोपी आजाद के पिता हरिसिंह के पास से 27 किलो पैंगोलिन की खाल बरामद हुई थी। इस दौरान आरोपी हरिसिंह एसटीएफ को चकमा देकर भाग निकला था। आरोपी के खिलाफ ग्वालियर में भी मामला दर्ज है।
20 आरोपियों पर दर्ज हैं प्रकरण
एसटीएफ पैंगोलिन की तस्करी करने वालों के खिलाफ 2014 से सक्रिय है। इस मामले में अभी तक एसटीएफ ने अंतरराष्ट्रीय गिरोह के 20 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इनमें से एक दर्जन आरोपी हिरासत में लिए जा चुके हैं। हालांकि, अभी गिरोह का सरगना एसटीएफ के हत्थे नहीं चढ़ा है।
पलकें छोटी, आंखें होती हैं मोटी
पेंगोलिन की आंखें छोटी होती है और पलकें मोटी होती हैं। पैरों में पांच अंगुलियां होती हैं। पिछला पैर अगले पैर की तुलना में बड़ा और मोटा होता है। जीभ करीब 25 सेंटीमीटर तक होती है और वह आसानी से अपने शिकार को अपनी जीभ पर चिपका लेती है। कपाल वृताकार या शंक्वाकार होता है। मादा पैंगोलिन की छाती में दो स्तन होते हैं। पैंगोलिन अपने खाद्य आदत के प्रति विशेष रूप से ढले होते हैं। वे दीमकों और चीटिंयों के घोंसले को खोदकर उसके अंडे, दीमक और चींटी खाते हैं। वे उनकी सूघंने की शक्ति बहुत तीव्र होती है और घोंसले पर हमला करने से पहले वह उसका अच्छी तरह पता लगा लेते हैं।
अंतरराष्ट्रीय तस्कर गिरोह सक्रिय
पैंगोलिन की खाल का उपयोग चायनीज मेडिसिन में किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस खाल की काफी डिमांड है। इसकी तस्करी को लेकर अंतरराष्ट्रीय तस्कर गिरोह सक्रिय है। मुरैना और आसपास के जिलों में पैंगोलिन की संख्या ज्यादा है। इनका शिकार भी धड़ल्ले से किया जा रहा है, जिसे रोक पाने में वन विभाग नाकाम साबित हो रहा है।
संरक्षित वन्यप्राणी में शामिल हैं पैंगोलिन
जानकारी के मुताबिक, पैंगोलिन वनप्राणी सुरक्षा अधिनियम 1972 की अनुसूची ए के तहत सरंक्षित वन्य प्राणी है। इसका शिकार प्रतिबंधित है। इसके बावजूद शिकार पर रोक नहीं लग पा रही है।
सुरक्षा कवच का काम करते हैं शल्क
पैंगोलिन का शरीर लंबा होता है, जो पूंछ की ओर पतला होता चला जाता है। दिखने में यह जीव अजीब सा दिखाई देता है। इसके शरीर पर शल्क होते हैं। ये शल्क सुरक्षा कवच का काम करते हैं। लेकिन थूथन, चेहरे, गले और पैरों के आतंरिक हिस्सों में शल्क नहीं होते। शल्क को चित्तीदार कांटे के बजाय बाल के रूप में देखा जा सकता है। हालांकि पुराने पडऩे और झडऩे के साथ ही शल्क के आकार प्रकार घटते बढ़ते रहते हैं।
मप्र के जंगलों में है यह जीव
शिकारियों के इंटरनेशनल तस्करों से संबंध निकलने के बाद इंटरपोल भी लगातार इन मामलों में सक्रिय है। मप्र के जंगलों में यह जीव अकसर देखा जाता है। पैंगोलिन के शरीर के अंगों का कारोबार स्थानीय शिकारियों के माध्यम से किया जा रहा है। ये लोग बीहड़ों में पैंगोलिन के अंगों को अलग करके कोलकाता के रास्ते से चीन, थाईलैंड जैसे देशों में भिजवाते हैं। इसके लिए मोटी रकम लेते हैं।