प्रत्येक गरीब व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाना हमारा उद्देश्य: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पाञ्चजन्य सुशासन संवाद 2.0 कार्यक्रम को किया संबोधित
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि पाञ्चजन्य समय से पहले सावधान करने और धर्म के मार्ग पर चलने का प्रतीक है। पाञ्चजन्य पत्रिका भारतीय विचार परम्परा का सशक्त संवाहक है और यह अपनी भूमिका का निर्वहन पूरी जिम्मेदारी के साथ कर रही है। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें प्राप्त पाञ्चजन्य और सुदर्शन चक्र सदैव अपने साथ रखा। यह दोनों प्रतीक उनके सम्पूर्ण व्यक्तित्व की विशिष्टता के रूप में सभी के मन मस्तिष्क में विद्यमान हैं। यह हम सबके लिए गर्व का विषय है कि भगवान श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप में उज्जैनी के संदीपनि आश्रम में प्राप्त शिक्षा-दिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान रहा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव पाञ्चजन्य सुशासन संवाद 2.0 कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. यादव का राष्ट्रीय स्वयं संघ के सह कार्यवाह मध्य क्षेत्र श्री हेमंत मुक्तिबोध, प्रांत संघचालक श्री अशोक पांडे और पाञ्चजन्य के संपादक श्री हितेष शंकर ने सम्मान किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव को पाञ्चजन्य का विशेष अंक भेंट किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलगुरू श्री विजय मनोहर तिवारी, निदेशक स्वामी विवेकानंद हेल्थ मिशन सोसायटी डॉ. प्रवीण रेड्डी और प्रबंध निदेशक डीबीजी टेक्नॉलाजी श्री अभिशेक गर्ग का सम्मान किया।
राज्य सरकार ने समाज के साथ मिलकर त्यौहर मनाने के परिपाटी आरंभ की
मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने कहा कि प्रत्येक गरीब व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाना हमारा उद्देश्य है। हम सत्ता के माध्यम से व्यवस्थाओं में बदलाव लाने के उद्देश्य से कार्य कर रहे हैं। आम जनता के सुख के लिए हर संभव प्रयास करना राज्य सरकार का उद्देश्य है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में इस पथ पर अग्रसर होते हुए राज्य सरकार ने कई नवाचार किए हैं। प्राकृतिक संसाधनों को सबके हित में वितरण को सुनिश्चित करते हुए राजस्थान, उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र के साथ नदी जोड़ो अभियान के अंतर्गत गतिविधियां प्रारंभ की गई हैं। इससे नदियों का मायका कहे जाने वाले मध्यप्रदेश के साथ तुलनात्मक रूप से कम जल सम्पदा वाले राजस्थान जैसे पड़ोसी राज्यों का भी लाभ होगा। राज्य सरकार ने विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर का नाम कुलगुरू कर, शिक्षा के मंदिरों को भारतीयता की भावना के अनुरूप बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए राज्य सरकार ने गुरूपूर्णिमा, गीता जयंती सहित अन्य प्रमुख त्यौहार समाज के साथ मिलकर मनाने की परिपाटी आरंभ की है। समाज में आनंद और उत्सवीय वातावरण का संचार करना राज्य सरकार का दायित्व है।

