अमेरिका ने माना, वार्ता और वारदात साथ-साथ नहीं

अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ वार्ता को लेकर भारतीय नीति पर मुहर लगाई है। राष्ट्रपति के व्हाइट हाउस कार्यालय के शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि आतंकी वारदातें और बातचीत साथ-साथ नहीं हो सकती। इस मामले में अमेरिका भारत की स्थिति को समझता है।
अधिकारी ने कहा, अमेरिका चाहता है कि भारत और पाकिस्तान के जिम्मेदार लोग साथ-साथ बैठें और बातचीत से तनाव को खत्म करें। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि पाकिस्तान में मौजूद लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद जैसे संगठनों का ढांचा खत्म किया जाए। आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। इसके बाद ही बातचीत का माहौल बनेगा और उसके सफल होने की संभावना बढ़ेगी।
अधिकारी ने कहा, पाकिस्तान मुंबई और पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमलों के गुनहगारों को दंडित करे, इससे बातचीत का माहौल तैयार होगा और दोनों देशों के बीच का तनाव कम होगा। बुधवार को अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर नौअर्ट ने दोनों देशों से बातचीत के जरिये तनाव कम करने का अनुरोध किया था।
ट्रंप प्रशासन को यह भी भय है कि पाकिस्तान में परमाणु हथियार आतंकियों के हाथ लग सकते हैं। इससे भीषण तबाही का खतरा पैदा हो सकता है। यह बात अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट में कई बार सामने आ चुकी है। ताजा स्थिति में ट्रंप प्रशासन इस खतरे को नए तरीके से देख रहा है। वह पाकिस्तान में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार कमजोर होने को ठीक नहीं मान रहा है। ऐसे में आतंकी संगठनों को ताकत मिल सकती है।