नोटबंदी के बाद क्यों बढ़ गई थीं विदेश यात्राएं?

नोटबंदी के बाद जब देश के करोड़ों लोगों के पास बेहद जरूरी चीजों के लिए पैसे नहीं थे, उन दिनों विदेश यात्रा कई गुना बढ़ गई थी. सुनने में यह अजीब लगता है लेकिन ऐसा ही हुआ. विदेश यात्रा पर खर्च में नवंबर 2016 में नवंबर 2015 की तुलना में 581 फीसदी का इजाफा हुआ. नवंबर के बाद दिसंबर और जनवरी में भी यह ट्रेंड जारी रहा. जांच एजेंसियां पूरे मामले की जांच में जुट गई हैं. ऐसे में उन अमीरों की शामत आ सकती है, जिन्होंने इस दौरान विदेशी धरती पर जमकर मस्ती की है.
कालेधन को सफेद करने का प्रयास
जांच एजेंसियां अब ऐसे लेनदेन की तह में जाकर इन ट्रांजैक्शंस के असली मकसद का पता लगा रही हैं. इन ट्रांजैक्शन का एक बड़ा हिस्सा कालेधन को सफेद करने का प्रयास भी हो सकता है. सिर्फ नवंबर 2016 में भारतीयों ने विदेशी यात्रा संबंधी खर्चों पर 246.6 मिलियन डॉलर खर्च किए, जबकि 2015 के नवंबर में यह राशि महज 36.2 मिलियन डॉलर थी.
आरबीआई के पास हैं सभी आंकड़े
नवंबर के बाद दिसंबर 2016 और फिर 2017 के जनवरी में भी यह ट्रेंड जारी रहा. दिसंबर में भारतीयों ने इस मद में 201 मिलियन डॉलर खर्च किए, जो उसके पिछले साल की समान अवधि से 517 फीसदी अधिक था. इसी तरह जनवरी में यह खर्च उसके पिछले साल के 40.8 मिलियन डॉलर की तुलना में 434 फीसदी बढ़कर 217.8 मिलियन डॉलर हो गया. ये सभी आंकड़े आरबीआई के पास उपलब्ध हैं.
जांच से बचने के लिए विदेशों में मनाईं छुट्टियां!
जनवरी के बाद इस ट्रेंड की स्पीड थोड़ी कम हुई, इसके बावजूद 2017 के अगस्त तक विदेशी यात्राओं पर होने वाले खर्चों में औसतन 45 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई. 2016 के नवंबर से लेकर 2017 के अगस्त तक आर्थिक क्रियाकलापों में सुस्ती के बावजूद विदेशी यात्राओं पर होने वाले इस बेतहाशा खर्च से आशंका जताई जा रही है कि इस दौरान देश के कुछ रईस लोगों ने कालेधन का उपयोग कर विदेशों में छुटि्टयां मनाने पर जमकर खर्च किया है. इसका एक मकसद नोटबंदी के बाद जांच-पड़ताल से बचना भी हो सकता है.
खर्च की सीमा है तय
गौरतलब है कि विदेशी यात्रा और अन्य ओवरसीज रेमिटेंस आरबीआई की लिबरेलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के जरिए संपादित होते हैं. स्कीम के तहत एक साल में ट्रेवलर्स चेक समेत कानूनी फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स के जरिए एक साल में विदेशी यात्राओं पर 250,000 यूएस डॉलर तक ही खर्च करने की अनुमति है. ऐसे में जांच अधिकारी उन संदेहास्पद बैंक ट्रांजैक्शंस की भी जांच कर रहे हैं, जिनके जरिए यह सब हुआ है.
ब्लैमनी होल्डर्स ने ये तरीके भी किए ईजाद
अधिकारियों ने बताया कि 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा के बाद कर चोरी करने के कई तरीके ईजाद किए गए, जिनमें विदेशी यात्राओं पर बेतहाशा खर्च भी एक हो सकता है. कुछ मामलों में देखा गया कि अकाउंट होल्डर्स ने बड़ी मात्रा में पैसे अपने अकाउंट में जमा किए और बाद में इन्हें फॉरेन कंट्री ट्रेवलर्स चेक में कन्टर्व कर दिया गया. इस दौरान हजारों मामलों में एक लाख से अधिक के क्रेडिट कार्ड बिल कैश में चुकाए गए.