गुजरात: कैसे 150+ सीटें जीत सकती है BJP? कांग्रेस की जीत के क्या हैं आसार?

नई दिल्ली. इलेक्शन कमीशन (EC) ने गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है। 9 दिसंबर और 14 दिसंबर को दो फेज में वोटिंग होगी। 18 दिसंबर को नतीजों का एलान हाेगा। इस बार बीजेपी प्रेसिडेंट अमित शाह ने 150+ सीटें जीतने का टारगेट रखा है। राज्य में लगातार 19 साल से बीजेपी सत्ता में है। 2014 तक मोदी सीएम थे। उनके बाद आनंदीबेन पटेल सीएम बनीं। अभी विजय रुपाणि सीएम हैं। कांग्रेस की यहां पिछली सरकार 1995 में बनी थी।

BJP को रिकॉर्ड जीत कैसे मिल सकती है?

– बीजेपी ने 2012 में राज्य की 182 में से 115 सीटें जीतीं। कांग्रेस को 61 सीटें मिलीं।
– दो साल बाद यानी 2014 में लोकसभा चुनाव हुए। गुजरात के सीएम रहे मोदी बीजेपी के पीएम कैंडिडेट बने। बीजेपी को गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई।
– इन लोकसभा सीटों का विधानसभा क्षेत्रवार एनालिसिस किया जाए तो पता चलता है कि 2014 में बीजेपी को 162 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी। यानी 2012 की 115 विधानसभा सीटों से 47 ज्यादा।

– 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को गुजरात में 60% वोट मिले। यानी यही परफॉर्मेंस बीजेपी 2017 में दोहरा दे तो 150 सीटों का टारगेट हासिल कर सकती है।
2012विधानसभा
वोट शेयर
2014लोकसभा (कुल सीटें26)
वोट शेयर
असेंबलीसीटों पर बढ़त
बीजेपी 115 47.9% 26 60.1% 162
कांग्रेस 61 38.9% 00 33.5% 17

कांग्रेस की जीत के आसार क्या हैं? BJP किन हालात में हार सकती है?
1) कम वोट मार्जिन वाली सीटों पर नतीजे पलट जाएं
– BJP तभी हारेगी, जब कांग्रेस 2012 में जीती 61 सीटें बरकरार रखे और करीबी मुकाबलों वाली उन 26 सीटों पर इस बार जीत जाए जो उसने पिछली बार 900 से 15 हजार वोटों के अंतर से हारी थीं।
– ऐसे में कांग्रेस का टैली 87 (61+26) हो जाएगा। बीजेपी का टैली घटकर 89 (115-26) रह जाएगा। इस स्थिति में कांग्रेस बहुमत से 5 सीटें दूर रहेगी।

2014लोकसभा चुनाव
कम वोट मार्जिनवाली सीटें
कांग्रेस कितनीहारी?
इस बारजीतने पर2012+2017
कांग्रेस 51 26
61+26= 87 (बहुमतसे 5 सीटें कम)
*गुजरात विधानसभा में बहुमत के लिए 92 सीटें चाहिए।

2) पाटीदार अगर बीजेपी के खिलाफ हो जाएं
– गुजरात के वोटरों में से 20% पाटीदारों को अलग कर दें तो बचे 80% वोटरों में से बीजेपी-कांग्रेस को 40-40% वोटरों का सपोर्ट हासिल है।
– 2012 में 20% पाटीदार वोटरों में से 80% वोटरों ने बीजेपी को सपोर्ट किया था। अगर ये वोटर इस बार कांग्रेस की तरफ झुक जाते हैं तो बीजेपी को बड़ा नुकसान हो सकता है।
– पाटीदारों का आरक्षण आंदोलन अगस्त 2015 में भड़का था। पटेल-पाटीदारों ने ओबीसी के 27 फीसदी कोटे में आरक्षण देने की मांग की थी। आंदोलन का चेहरा हार्दिक पटेल थे।

बीजेपी के लिए संकेत अच्छे नहीं
बीजेपी को पाटीदारों के मामले में हाल ही में तीन झटके लग चुके हैं। पहला- आरक्षण आंदोलन का चेहरा रहे हार्दिक पटेल की पूरी तरह से कांग्रेस से नजदीकी है। उन्होंने बीजेपी सरकार से नाराज होकर ही आंदोलन छेड़ा था। दूसरा- पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के नेता रहे निखिल सवानी को बीजेपी अपने पाले में कामयाब तो रही लेकिन सवानी ने 15 दिन बाद ही बीजेपी छोड़ दी। तीसरा- नॉर्थ गुजरात में पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (PAAS) के कन्वीनर रहे नरेंद्र पटेल बीजेपी में शामिल हुए लेकिन बाद में आरोप लगाया कि बीजेपी की तरफ से पार्टी में आने के लिए उन्हें एक करोड़ रुपए का ऑफर दिया गया। टोकन मनी के रूप में 10 लाख रुपए भी दिए गए थे।

पाटीदार अहम क्यों?
पाटीदारवोटर कितने हैं
20%
20%पाटीदारों में लेउवा कितने 60%
20%पाटीदारों में कड़वा कितने 40%
2012में बीजेपी को कितने पाटीदार वोट मिले 80%
बीजेपी के पास कितने पाटीदार विधायक 182 में से 44
अहम क्यों? 19 साल से BJP को सत्ता में रखने में भूमिका
* 2015 में पटेल आंदोलन चल रहा था। इस दौरान 11 जिला पंचायतों के चुनाव में से 8 में कांग्रेस को जीत मिली थी।

गुजरात में क्या है कास्ट फैक्टर?

कम्युनिटी वोट शेयर
पाटीदार 20%
मुस्लिम 9%
पाटीदार+मुस्लिम 29%
सवर्ण 20%
ओबीसी 30%
केएचए: क्षत्रिय, हरिजन आदिवासी 21%
सर्वण+ओबीसी+केएचए 71%

ठाकोर का कांग्रेस में आना यानी 51% वोटरों तक पहुंच
ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर कांग्रेस में शामिल हो गए। ठाकोर ओबीसी, एससी-एसटी एकता मंच और ठाकोर क्षत्रिय सेना के फाउंडर हैं। अल्पेश ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन का विरोध किया था। गुजरात में 30% ओबीसी वोटर हैं। वहीं, क्षत्रिय-हरिजन-आदिवासी वोटरों की तादाद 21% है। अल्पेश ठाकोर का एकता मंच इन सभी कम्युनिटी को रिप्रेजेंट करता है। यानी ठाकोर के बहाने कांग्रेस की नजर गुजरात के कुल 51% वोटरों पर है।

मुद्दा जिसे कांग्रेस और बीजेपी जोर-शोर से उठा रही हैं?
1) बीजेपी के लिए नोटबंदी-जीएसटी और डेवलपमेंट का मुद्दा
– मोदी सरकार ने ब्लैकमनी रोकने के लिए 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का फैसला लिया। मोदी ने इसे आर्थिक सुधारों का ऐतिहासिक कदम बताया। इसके बाद 1 जुलाई 2017 को केंद्र और राज्यों के करीब 17 टैक्स खत्म कर जीएसटी को लागू किया गया।

– मोदी ने इसे गुड एंड सिम्पल टैक्स और ग्रोइंग स्ट्रॉन्गर टुगेदर जैसे नाम दिए। इन मुद्दों को बीजेपी गुजरात चुनाव में जोरशोर से उठा सकती है। इसके अलावा उज्ज्वला, स्वच्छ भारत अभियान, जन-धन, आवास योजना, स्टार्टअप इंडिया, ग्राम ज्योति, फसल बीमा योजनाओं को चुनावी कैम्पेन में उठाएंगे।

2) कांग्रेस बार-बार पूछ रही विकास को क्या हुआ?
– गुजरात चुनाव में कांग्रेस विकास और रोजगार जैसे मुद्दों को उठाएगी। राहुल गांधी के हाल के गुजरात दौरों में भी यही दिखा। राहुल गांधी ने गुजरात की कई सभाओं में विकास के नाम पर मोदी सरकार को घेरने के लिए एक जुमला भी उछाला- ‘‘विकास को क्या हुआ, विकास पागल हो गया और विकास मोदीजी का झूठ सुन-सुनकर पागल हो गया’’।
– रोजगार के मुद्दे पर भी राहुल ने अपनी सभाओं में आंकड़े पेश किए। राहुल ने कहा देश में रोज 30 हजार लोग रोजगार ढूंढते हैं। हमारी सरकार रोज 450 रोजगार दे पाती है, जबकि चीन में रोज 50 हजार लोगों को रोजगार दिया जाता है।

पिछले तीन चुनावों में हार-जीत में 10 फीसदी वोटों का अंतर रहा है
कांग्रेस को 1985 में 55.6% वोट मिले थे। 2012 में यह 38.9% तक पहुंच गया। इस दौरान बीजेपी का ग्राफ 15% से 48% तक पहुंच गया। पिछले 3 चुनावों में बीजेपी को 48 से 50% वोट मिले। हर बार बीजेपी-कांग्रेस के बीच 10% वोटों का अंतर रहा।

बीजेपी और कांग्रेस को गुजरात विधानसभा चुनाव में कब सबसे ज्यादा सीटें मिलीं?
विधानसभा चुनाव पार्टी सीटें वोट शेयर
1985 कांग्रेस 149 55.6%
2002 बीजेपी 127 49.9%