जीतने ही वाला था न्यूजीलैंड, धोनी ने पलटा पासा

भारत ने रविवार को कानपुर में खेले गए तीसरे और आखिरी मैच में न्यूज़ीलैंड पर 6 रनों से रोमांचक जीत दर्ज की. टीम इंडिया ने इसी के साथ सीरीज़ पर कब्ज़ा जमाया और आईसीसी रैंकिंग में भी पहला स्थान हासिल कर लिया. इस मैच में आखिरी पलों तक ऐसा लग रहा था कि भारत के हाथ से मैच जा रहा है, लेकिन तभी गेंदबाज़ों के साथ इस एक खिलाड़ी के अनुभव मैच का टर्निंग पाइंट साबित हुआ.
भारत ने 6 विकेट पर 337 रनों का बड़ा स्कोर खड़ा किया. न्यूज़ीलैंड ने अच्छी बल्लेबाज़ी करते हुए लक्ष्य का पीछा करना शुरू किया. कोलिन मुनरो (75) और कप्तान केन विलियमसन (64) ने दूसरे विकेट के लिए 109 रनों की पार्टनरशिप की. कीवी टीम बिना किसी हड़बड़ी के मंजिल की तरफ बढ़ती दिख रही थी. सीरीज़ में ज़बर्दस्त प्रदर्शन करने वाले लाथम ने एक बार फिर मोर्चा संभाला. और फिर हैनरी निकोल्स (37) के साथ स्कोर को आसानी से 300 के पार ले गए.
अब तो भारतीय कप्तान विराट कोहली भी आपा खोते नज़र आने लगे थे. उन्हें भी जीत हाथ से फिसलती दिख रही थी. मैच का अंतिम ओवर चल रहा था और न्यूज़ीलैंड को जीत के लिए 15 रन की दरकार थी. पहली गेंद पर न्यूज़ीलैंड को एक रन मिला. मैच देख रहे लाखों क्रिकेट फैन्स के लिए ये धड़कन रोक देने वाला लम्हा था.
तभी मैदान पर कुछ अलग नज़ारा देखने को मिलता है. टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली बाउंड्री लाइन पर खड़े हुए थे, जबकि फील्डिंग जमा रहे थे एमएस धोनी. लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ था. कप्तान बनने के बाद भी कोहली हमेशा से ‘संकटमोचक’ की सलाह को दरकिनार नहीं करते. हमेशा मुश्किल पलों में वह धोनी पर भरोसा करते आए हैं, लेकिन इस बार तस्वीर बिलकुल अलग थी. कोहली को पता है कि इन मुश्किल हालात में धोनी से बेहतर को पथ प्रदर्शक नहीं हो सकता है. इस वजह से मैच के अंतिम ओवर में कप्तानी की बागड़ोर धोनी ने संभाल ली थी. बॉलर को सलाह देने के साथ फील्डिंग की जमावट भी उनके हाथों में थी…और नतीजा तो भारत के हक़ में ही आना था…