Aditya L1 Launch: चंद्रयान-3 की चांद पर फतेह के बाद भारत सूरज की ओर छलांग , ‘इसरो स्पेस इकोनॉमी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा’

ISRO Solar Mission: ‘ये भारत का बहुत अनोखा मिशन है’, आदित्य एल1 पर बोले प्रोफेसर अनिल भारद्वाज
आदित्य एल1 मिशन पर भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के निदेशक डॉ. अनिल भारद्वाज ने कहा, “हम सभी लॉन्च को लेकर बहुत उत्साहित हैं. ये सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत का एक बहुत ही अनोखा मिशन है. आदित्य एल1 पर मौजूद सभी प्रयोगों को चालू करने में शायद एक महीने का समय लगेगा. उसके बाद, हम लगातार सूर्य की ओर देखना शुरू कर सकेंगे.”

आदित्य एल1 की लॉन्चिंग देखने एसडीएससी पहुंचे स्कूल स्टूडेंट्स
सूर्य की स्टडी करने के लिए इसरो के आदित्य एल-1 मिशन के प्रक्षेपण को देखने के लिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) शार, श्रीहरिकोटा में स्कूली छात्र भी पहुंचे हैं.

इसरो के आदित्य एल1 लॉन्च पर टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के रिटायर्ड प्रोफेसर मयंक एन वाहिया ने कहा, “आदित्य एल1 से पहले एल1 प्वाइंट पर आखिरी मिशन पांच पहले गया था. ये नई पीढ़ी का नया मिशन होगा. ये मिशन ऑप्टिकल, यूवी और एक्स-रे में एक साथ सूर्य का निरीक्षण करेगा.”

भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान की निदेशक अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने कहा, “हमने इस विशेष मिशन पर मुख्य उपकरण वितरित किया है जो कि विज़िबल लाइन एमिशन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) है. इससे हर समय पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा और चूंकि ये एल1 में है, जहां से ये सूर्य का अबाधित दृश्य देगा. इसमें सूर्य हर समय ग्रहण में दिखाई देगा। यह पहला मिशन होगा जो कोरोना के सबसे अंदरूनी हिस्से पर नज़र डालेगा.”

भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान की निदेशक अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने कहा, “हमने इस विशेष मिशन पर मुख्य उपकरण वितरित किया है जो कि विज़िबल लाइन एमिशन कोरोनाग्राफ (वीईएलसी) है. इससे हर समय पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा और चूंकि ये एल1 में है, जहां से ये सूर्य का अबाधित दृश्य देगा. इसमें सूर्य हर समय ग्रहण में दिखाई देगा। यह पहला मिशन होगा जो कोरोना के सबसे अंदरूनी हिस्से पर नज़र डालेगा.”

10 दिन पहले 23 अगस्त को ही भारत ने स्पेस टेक्नोलॉजी में अपना लोहा मनवाया था. जब भारत चांद के साउथ पोल पर पहुंचने वाला पहला देश बना. हमारा मिशन चंद्रयान अब भी जारी है लेकिन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के 50 दिनों बाद ISRO का एक और मिशन तैयार है. जिसका नाम है आदित्य L1. ये मिशन सूरज से जुड़ा है. जो कुछ ही घंटों बाद अपना सफर शुरू करने वाला है.

चंद्रयान -3 की चांद पर लैंडिंग के लिए बजने वाली तालियां अभी बंद भी नहीं हुई कि भारत अंतरिक्ष विज्ञान में अगला विलक्षण कदम रखने को तैयार है. अब सूरज की बारी है. ये देश का पहला ऐसा अंतरिक्ष मिशन है. जो सूर्य की रिसर्च से जुड़ा हुआ है.

आदित्य L1 मिशन का काम होगा सूर्य के ऊपरी वायुमंडल का अध्ययन इससे सूरज की बाहरी परत की जानकारियां जुटाई जाएंगी. आदित्य L1 एक सैटेलाइट है. जिसे 15 लाख किलोमीटर दूर भेजा जाएगा और अंतरिक्ष में ही स्थापित किया जाएगा.

सैटेलाइट को L1 यानि लैग्रेंज प्वाइंट 1 में स्थापित करना है. बिना ग्रैविटी वाले क्षेत्र को कहते हैं ‘लैग्रेंज प्वाइंट’. इसी L1 प्वाइंट पर आदित्य L1 सूर्य के चक्कर लगाएगा. क्योंकि L1 प्वाइंट से सैटेलाइट पर सूर्य ग्रहण का भी प्रभाव नहीं पड़ेगा.

जहां इस उपग्रह को स्थापित किया जाएगा वह गुरुत्वाकर्षण से बाहर का क्षेत्र होगा वहां उसे न सूरज अपनी तरफ खींचेंगा न पृथ्वी. भारत का पहला सोलर मिशन आदित्य L1 एक खिड़की की तरह सूरज के रहस्य खोलेगा और उसी खिड़की से सूरज की जानकारियां हमतक पहुंचाएगा.

शनिवार की सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर सतीश धवन स्पेस सेंटर से ISRO अपने पहले सोलर मिशन को लॉन्च करने वाला है. लॉन्चिंग से लेकर ऑर्बिट इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया में तीन चरण होंगे.

पहला फेज है, PSLV रॉकेट की लॉन्चिंग. पोलर सैटेलाइट लॉन्चिंग व्हीकल यानि PSLV से सैटेलाइट लॉन्च होगी. इसे पृथ्वी की निचली कक्षा में पहुंचाया जाएगा. दूसरा फेज होगा पृथ्वी के चारों ओर आदित्य L-1 की ऑर्बिट को सिलसिलेवार बढ़ाना और सैटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकालना. तीसरा फेज होगा सूर्ययान को पृथ्वी के ग्रैविटी से बाहर निकालना. इसके बाद आखिरी पड़ाव यानी L1 में सैटेलाइट स्थापित की जाएगी.

आदित्य L1 को पृथ्वी से निकलने और लैग्रैंज प्वाइंट तक पहुंचना है और इस प्रक्रिया में 125 दिन यानी करीब 4 महीने का वक्त लगेगा.