दस वर्षों में 800 रुपये से ज्यादा बढ़ी गेहूं और धान की एमएसपी, कृषि बजट भी पांच गुना बढ़ा
विधि-व्यवस्था की अनदेखी कर दिल्ली में प्रवेश को आतुर किसानों की मांगों में सभी फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी प्रमुख है। केंद्र सरकार ने अभी 24 फसलों पर एमएसपी लागू कर रखा है किंतु अन्य कई फसलें इसके दायरे से बाहर हैं। खेती को लाभकारी बनाने और किसानों को क्षति से बचाने के लिए फसलों पर एमएसपी की व्यवस्था लगभग छह दशक से चली आ रही है।
2013-14 में केंद्र ने कराया था किसानों की स्थिति पर सर्वे
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की हाल में प्रकाशित एक पुस्तक में देश के सफल किसानों में से 75 हजार की सफलता की कहानियों का संकलन किया गया है। इसमें ऐसे किसानों की गाथा है, जिन्होंने अपनी मेहनत एवं केंद्रीय योजनाओं के जरिए अपनी आमदनी को पांच-छह वर्षों में दोगुना से अधिक बढ़ाने में सफलता पाई है। वर्ष 2013-14 में केंद्र सरकार ने किसानों की स्थिति पर सर्वे कराया था।
किसानों की आमदनी में हुआ इजाफा
रिपोर्ट के अनुसार तब प्रत्येक किसान परिवार की औसत मासिक आय 6,426 रुपये थी। इसके आधार पर केंद्र ने कृषि मंत्रालय का बजट बढ़ाया। प्रयोग किए। किसानों को नवीनतम तकनीक दी, जिसका असर हुआ कि 2018-19 में किसानों की आमदनी बढ़कर 10,218 रुपये हो गई। पांच वर्षों में ही लगभग चार हजार रुपये की मासिक वृद्धि।
कृषि बजट दस वर्षों में पांच गुना बढ़ा
कृषि क्षेत्र को प्राथमिकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2013-14 के 27,662 करोड़ रुपये के बजट को लगभग पांच गुना बढ़ाकर वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में 1.27 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया।खेती की लागत को नियंत्रित कर किसानों की आय बढ़ाने के उपाय तलाशने के लिए 2016 में बनाई गई अंतर-मंत्रालयी समिति ने दो वर्ष बाद अपनी अंतिम रिपोर्ट में कृषि नीतियों, सुधारों एवं कार्यक्रमों पर जोर दिया था।
अंतर-मंत्रालयी समिति की रिपोर्ट पर गंभीरता से हुआ काम
समिति ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए सात स्त्रोतों की पहचान की थी, जिसमें लागत को नियंत्रित करते हुए नवीनतम तकनीक के जरिए उत्पादन-उत्पादकता बढ़ाना, खेती के साथ पशुपालन, फसल गहनता एवं विविधता, लाभकारी मूल्य वाली खेती के साथ अतिरिक्त श्रमशक्ति को गैर कृषि व्यवसाय के लिए प्रेरित करने का सुझाव दिया गया था। समिति की रिपोर्ट पर केंद्र सरकार ने गंभीरता से अमल करते हुए किसानों की आय को दुगुना करने का लक्ष्य तय किया था। इस पर तेजी से काम हुआ और परिणाम भी आया।
आंकड़ों के अनुसार 2014 -15 में एमएसपी पर कुल खरीद 761.40 लाख टन थी जिसके लिए 1.06 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए। 2022-23 में खरीद बढ़कर 1062.69 लाख टन हुई जिसपर 2.28 लाख करोड़ रुपये का भुगतान हुआ।
अभी 24 फसलों पर एमएसपी
विधि-व्यवस्था की अनदेखी कर दिल्ली में प्रवेश को आतुर किसानों की मांगों में सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी प्रमुख है। केंद्र सरकार ने अभी 24 फसलों पर एमएसपी लागू कर रखा है, किंतु अन्य कई फसलें इसके दायरे से बाहर हैं। खेती को लाभकारी बनाने और किसानों को क्षति से बचाने के लिए फसलों पर एमएसपी की व्यवस्था लगभग छह दशक से चली आ रही है। उस समय सिर्फ गेहूं को ही इसके दायरे में लाया गया था। आज 24 फसलों पर एमएसपी लागू है। किसानों को फसलों की लागत पर आने वाली राशि से लगभग 50 प्रतिशत अधिक दर न्यूनतम मूल्य तय किया जाता है। इसका मतलब हुआ कि किसी फसल का मूल्य बाजार भाव से कम होने की स्थिति में सरकार न्यूनतम मूल्य तय कर किसानों को सहारा देती है।
फसलों का एमएसपी (रुपये प्रति क्विंटल)
फसल | एमएसपी-2014-15 | एमएसपी-2024-25 |
गेहूं | 1400 | 2275 |
धान | 1360 | 2183 |
मक्का | 1310 | 2090 |
अरहर | 4350 | 7000 |
मूंग | 4600 | 8558 |
जौ | 1100 | 1850 |
चना | 3100 | 5440 |
दाल (मसूर) | 2950 | 6425 |
सरसों | 3050 | 5650 |