Election 2024: पीर पंजाल की पहाड़ियों के बीच कमल खिलाने की कोशिश में BJP

राजनीति विश्लेषक प्रोः हरि ओम कहते हैं कि अनंतनाग राजौरी सीट पर भाजपा की जीत राजौरी-पुंछ व अनंतनाग में मतदान के प्रतिशत पर निर्भर करेगी। भाजपा को उम्मीद है कि वह राजौरी-पुंछ से पहाड़ी व गुज्जर बक्करवाल और हिंदू मतदाताओं के अधिकांश वोट ले जाएगी गुलाम नबी आजाद अब लोगों को रोशनी अधिनियम वापस बहाल करने का यकीन दिला रहे हैं।

लोकसभा चुनाव को लेकर जम्मू- कश्मीर में न सिर्फ राजनीतिक बल्कि प्रशासनिक गतिविधियां भी तेज हो चुकी हैं। भले ही जम्मू-कश्मीर में पाँच ही लोकसभा क्षेत्र हों, लेकिन यहां के मुद्दे देश की सियासत के लिए महत्वपूर्ण हैं। यही वजह है कि जम्मू कश्मीर की राजनीति में उठापटक होना लाजिमी है।भाजपा पहली बार जम्मू क्षेत्र की दो सीटों से आगे निकलकर कश्मीर में कमल खिलाने की जुगत में है और इसके लिए जोर लगा रही है। वहीं, कश्मीरी दलों के समक्ष अपना घर बचाने की चुनौती है। आइएनडीआइए की आपसी खींचतान उनकी चुनौती को और बढ़ा रही है।

कभी गूंजते थे अलगाववादी नारे

पूर्व में जम्मू-कश्मीर में चुनाव के दौरान अलगाववादी नारे गूंजते थे और इन्हीं नारों के सहारे कश्मीर के सियासी दल अपनी जीत की राह खोजते दिखते थे। मगर जम्मू कश्मीर का भूगोल क्या बदला, पूरा माहौल ही अब बदला नजर आ रहा है। अब पहली बार इन मुद्दों की चुनाव में कोई चर्चा नहीं है और पूरा चुनाव विकास की पगडंडी पर बढ़ता दिख रहा है।

कांग्रेस और नेकां जैसे दल राज्य के दर्जे की आवाज उठा रहे हैं। पांच वर्ष में आया यह बदलाव यूं ही नहीं है। पहली बार है कि जम्मू-कश्मीर के आम आदमी ने विकास को अपने आसपास बखूबी महसूस किया है। दशकों से पहचान और न्याय के लिए वंचित आबादी को पहली बार अपने अधिकार मिले हैं और यही बदलाव प्रदेश में चुनावी चर्चा का हिस्सा बना है।

परिसीमन ने बदलाव में दिया योगदान

जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद हुए परिसीमन ने इस बदलाव में काफी अहम योगदान दिया है। पांच लोकसभा क्षेत्रों का इस तरह से पर सीमन किया गया है कि सभी क्षेत्र लगभग एक समान आबादी और क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। पहली बार अस्तित्व में आया अनंतनाग- राजौरी लोकसभा क्षेत्र जम्मू और कश्मीर की आपसी प्राकृतिक सीमाओं को तोड़ता दिख रहा है।

यहीं से खेमों में बंटी सियासत को नई राह मिलती दिख रही है और भाजपा को नई उम्मीद पीर पंजाल की पहाड़ियों के दोनों ओर के क्षेत्रों को मिलाकर बना यह क्षेत्र जम्मू-कश्मीर की सियासत का नया केंद्र बन गया है। नेकां और पीडीपी इस गढ़ को बचाने के लिए हर दांव लगाने को तत्पर दिखते हैं और भाजपा इसे कश्मीर में पहचान मजबूत करने की उम्मीद के तौर पर देख रही है।

हिंदू मतदाताओं पर भाजपा को विश्वास

राजनीति विश्लेषक प्रोः हरि ओम कहते हैं कि अनंतनाग राजौरी सीट पर भाजपा की जीत राजौरी-पुंछ व अनंतनाग में मतदान के प्रतिशत पर निर्भर करेगी। भाजपा को उम्मीद है कि वह राजौरी-पुंछ से पहाड़ी व गुज्जर बक्करवाल और हिंदू मतदाताओं के अधिकांश वोट ले जाएगी गुलाम नबी आजाद अब लोगों को रोशनी अधिनियम वापस बहाल करने का यकीन दिला रहे हैं। साफ है कि वह कश्मीरी दलों का नुकसान करेंगे।