वीरभद्र सिंह : कांग्रेस के CM, सबसे उम्रदराज जन नेता का ऐसा रहा है सफर

शिमला। हिमाचल प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्रसिंह का जन्म 23 जून 1934 को शिमला में हुआ था। स्कूली शिक्षा शिमला से प्राप्त कर उन्होंने दिल्ली से स्नातक की डिग्री हासिल की। बुशहर रियासत से संबंधित वीरभद्र सिंह अपने गृह क्षेत्र रामपुर से कोई भी चुनाव नहीं लड़ पाए।
मगर, 83 साल के वीरभद्र प्रदेश के जिस भी हिस्से से चुनाव मैदान में उतरे, चुनाव जीते हैं। यही खूबी वीरभद्र सिंह को जननेता बनाती है। चुनाव मैदान में वह सबसे उम्र दराज नेता हैं, बावजूद इसके भाजपा के खिलाफ रैली करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
‘राजा साब’ के नाम से जाने जाने वाले वीरभद्रसिंह के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1962 में लोकसभा चुनाव में निर्वाचित होने के साथ हुई। 1962 से 2007 तक वे हिमाचल प्रदेश की राज्यसभा में सात बार सदस्य रहे। 1967 में लोकसभा में वे दूसरी बार निर्वाचित हुए।
1971 में तीसरी बार लोकसभा चुनाव में विजयी रहे। 1976-77 के दौरान वह पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सहायक मंत्री रहे। 1980 के लोकसभा चुनावों में उन्हें चौथी बार चुना गया। 1982-83 में वे राज्य उद्योग मंत्री रहे।
1983, 1990, 1993, 1998 और 2003 तक वे पांच बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। 2009 में वे पांचवी बार लोकसभा के सदस्य के रूप में चुने गए। 31 मई 2009 को उन्हें केंद्रीय स्टील मंत्री बनाया गया। 19 जनवरी 2011 को उन्होंने सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्योगों के केंद्रीय मंत्री का पदभार संभाला। राजनीति के अलावा वीरभद्र सिंह इंडो-सोवियत मैत्री समिति के सदस्य भी हैं।
ऐसा रहा है राजनीतिक सफर…
1962 : महासु से लोकसभा के सदस्य निर्वाचित
1967 : महासु से एक बार फिर लोकसभा के सदस्य निर्वाचित
1971 : मंडी से लोकसभा के सदस्य निर्वाचित
1976 : केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल, पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री बने
1977 : मंडी से लोकसभा का चुनाव हारे
1980 : मंडी से लोकसभा के सदस्य निर्वाचित
1982 : केंद्र में उद्योग राज्य मंत्री बने
1983 : रामलाल के स्थान पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने
1985 : रोहरु से विधानसभा के लिए निर्वाचित, दूसरी बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने
1990 : रोहरु से विधानसभा के लिए निर्वाचित
1993 : रोहरु से विधानसभा के लिए निर्वाचित, तीसरी बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने
1998 : रोहरु से विधानसभा के लिए निर्वाचित, चौथी बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, पर बहुमत साबित करने में नाकाम रहे
2003 : रोहरु से विधानसभा के लिए निर्वाचित, पांचवीं बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने
2007 : रोहरु से विधानसभा के लिए निर्वाचित
2009 : मंडी से लोकसभा के लिए निर्वाचित, केंद्र में इस्पात मंत्री बने
2011 : केंद्र में लघु, छोटे एवं मझोले उद्योग मामलों के मंत्री बने
2012 : केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दिया, नवनिर्मित शिमला (ग्रामीण) विधानसभा सीट से निर्वाचित।