नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता और उसके बच्चे का पुर्नवास करेगी सरकार

12 हजार 60 मिनी आंगनबाड़ी बनेंगी पूर्ण आंगनबाड़ी
भोपाल।
भारत सरकार के निर्भया फंड से अब मध्यप्रदेश सरकार दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग और उसके बच्चे के पुर्नवास का खर्च उठाएगी। इसके लिए प्रत्येक जिले में दस लाख रुपए का बजट दिया जाएगा।इसमें पीड़िता को शिक्षा, पुलिस सहायता, मातृत्व और नवजात शिशु देखभाल, मनोवैज्ञानिक परामर्श, कानूनी सहायता, स्वास्थ्य बीमा, देखरेख संस्थानों में आश्रय आदि की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।इस योजना में लाभ प्राप्त होने के लिए एफआईआर की प्रति होना आवश्यक नहीं होगा। वहीं प्रदेश की 12 हजार 670 मिनी आंगनबाड़ियों को पूर्ण आंगनबाड़ियों में तब्दील किया जाएगा। इन दोनो ही प्रस्तावों को आज कैबिनेट ने मंजूरी दे दी।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की अध्यक्षा में हुई कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया कि भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा निर्भया फंड से शत प्रतिशत केन्द्र वित्त पोषित योजना के रुप में मध्यप्रदेश में दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग और उसके बच्चे को विभिन्न प्रकार की मदद उपलब्ध कराएगी। जिला स्तर पर जिला बाल संरक्षण अधिकारी इस निधि का उपयोग जिला कलेक्टर के नियंत्रण में करेंगे योजना में निर्भया फंड से दस लाख रुपए प्रत्येक जिले को आवंटित किए गए है और राज्य वास्तविक घटना और जिलों की आवश्यकता अनुसार इस राशि का उपयोग कर सकेंगे। योजना का क्रियान्वयन महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव और मिशन वात्सल्य के दिशा निर्देशों के अनुसार जिला कलेक्टर करेंगे। योजना में अठारह वर्ष से कम आयु की बालिका पाक्सो के तहत दुष्कृत्य का शिकार होंने के कारण गर्भवती हो जाती है तो उसे इस योजना के तहत कवर किया जाएगा। इस योजना का लाभ पाने के लिए पीड़ित बालिका को एफआईआर की प्रति की भी जरुरत नहीं होगी। योजना में समर्पित बाल देखभाल संस्था या 18 वर्ष तक की आयु की पीड़ित बालिका को रहने के लिए एक अलग स्थान और 23 वर्ष तक पश्चातवर्ती देखभाल सहायता प्रदान की जाएगी। जननी सुरक्षा कार्यक्रम और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत छह हजार रुपए एकमुश्त वित्तीय सहायता या केन्द्र और राज्य सरकार की कोई अन्य प्रासंगिग योजना के प्रावधानों के तहत समग्र प्रजनन और बाल स्वास्थ्य देखभल सेवाएं दी जाएंगी। आघात से उबरने परामर्श अैर अन्य मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाएंगी। पीड़ित बालिका की शिक्षा, औपचारिक शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण उसे प्रदान किया जाएगा। न्यायालय, अस्पताल स्कूल और अन्य जगह आनेजाने के लिए पर्याप्त पुलिीस सुरक्षा दी जाएगी। कानूनी सहायता परामर्श दिया जाएगा। पीड़ित बालिका का बयान उसकी पसंद की जगह पर महिला पुलिस अधिकारी दर्ज करेगी जो सादे कपड़े में होगी। केन्द्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं, क्षतिपूर्ति प्रावधानों के अनुसार बाल देखरेख संस्था, वकील, सपोर्ट पर्सन द्वारा वित्तीय और अन्य अधिकारों का लाभ दिलाया जाएगाञ। पीड़ित बालिका और उसके नवजात शिशु को पीएमजेएव्हाय के तहत पांच लाख रुपए प्रति वर्ष की दर से स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदाय किया जाएगा। नाबालिग बालिका को मिशन वात्सल्य के तहत स्पॉंसरशिप , पश्चातवर्ती देखभाल के लिए 23 वर्ष तक की आयु या रोजगार मिलने तक संस्थागत देखभाल और गैर संस्थागत देखभाल चार हजार रुपए प्रति माह प्रति बच्चा दिया जाएगा। योजना सभी 55 जिलों में लागू होगी।
प्रदेश की 12 हजार 670 मिनी आंगनवाड़ियों को पूर्ण आंगनवाड़ी में उन्नयन करने का निर्णय लिया गया। इस पर 213 करोड़ 47 लाख रुपए का भार आएगा। 25 आंगनवाड़ी केन्द्रों पर एक पर्यवेक्षक के मान से 476 पर्यवेक्षक के पद भी स्वीकृत किए गए है।
स्वास्थ्य विभाग में पिछले दो वर्षो में 454 संस्थाओं में 6 हजार 388 नवीन पदों के सृजन की अनुमति दी गई है। इसके अलावा 1589 आउट सोर्सिंग एजेंसी से कार्य पर रखे जाएंगे। इस पर 351 करोड़ का भार आएगा। इन पदों को वर्ष 24-25 में भरा जाएगा।सेवानिवृत विश्वविद्यालय के पेंशनर्स को सातवे वेतनमान के अनुरुप पेंशन देने का निर्णय भी लिया गया।
एक लाख लोगों को सरकारी नौकरी-
प्रदेश के विभिन्न शासकीय विभागों में 1 लाख पदों पर भर्तियां की जाएंगी। दिसंबर तक इसकी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इसमें सर्वाधिक 46 हजार पद स्वास्थ्य विभाग के हैं।महिला एवं बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग के लिए 20000 पदों के सृजन की अनुमति दी गई है। इसमें 12000 से अधिक सहायिका और 467 सुपरवाइजर के पद भी शामिल हैं। साथ ही कैबिनेट से पहले मुख्यमंत्री ने रोजगार सृजन वाले विभागों को आगामी चार वर्ष के लिए कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए।
भौगोलिक सीमाओं का पुनर्गठन
कैबिनेट बैठक में प्रदेश प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। यह आयोग आगामी चार माह में सभी जिलों का दौरा करेगा। तहसील, विकासखंड, जिला, और संभाग की सीमाओं में परिवर्तन को लेकर लोगों से सुझाव दिए जाएंगे, जिसके आधार पर रिपोर्ट तैयार होगी।