पंचायत सचिवों को मिलेगा नियमित वेतनमान, न्यूनतम होगा 10 हजार

भोपाल। प्रदेश में एक अप्रेल 2018 को दस साल की सेवा पूरी कर चुके पंचायत सचिवों को अब 24 हजार से अधिक मासिक वेतन मिलेगा। फिलहाल इन्हें 14 हजार रुपए मिल रहे हैं। अब पंचायत सचिवों का न्यूतनम वेतन 10 हजार रुपए प्रतिमाह होगा।

अभी उन्हें 1600 रुपए मिलते हैं। साथ ही उन्हें अनुकम्पा नियुक्ति की पात्रता भी होगी। यह घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को सीएम हाउस में आयोजित पंचायत सचिवों के सम्मेलन में की। इसका लाभ 23 हजार पंचायत सचिवों को मिलेगा। उन्होंने कहा, जब सरकार बनी थी, तब पंचायत सचिवों को 500 रुपए मिलते थे। वर्ष 2008 में 1200 रुपए बढ़ाए गए।

ऐसे समझें वेतनमान को
वेतनमान 5200 – 20200 + 2400 ग्रेड-पे दिया जाएगा। यह राशि 24115 रुपए होगी। इसमें 250 रुपए यात्रा भत्ता जोड़ा जाएगा। इस तरह पंचायत सचिव का वेतन 24365 रुपए प्रतिमाह होगा।

उन्हें यह लाभ नए वित्तीय वर्ष यानी एक अप्रेल 2018 से मिलेगा। नई नियुक्ति वालों को न्यूनतम दस हजार रुपए प्रतिमाह वेतन दिया जाएगा। इसके दो साल बाद उन्हें 5200 – 20200 +1900 ग्रेड-पे मिलने लगेगा।

महिला सचिवों को 180 दिन का मातृत्व अवकाश
महिला पंचायत सचिवों को 180 दिन का मातृत्व अवकाश और सचिव पति को 15 दिन का पितृत्व अवकाश मिलेगा। एक अप्रेल 2008 से अनुकम्पा नियुक्ति का लाभ दिया जाएगा। बीमार होने पर 15 दिन का चिकित्सीय अवकाश ले सकेंगे। शासकीय कर्मचारी का दर्जा मिलेगा। सेवाकाल की गणना 1995 से की जाएगी। सम्मेलन में मौजूद पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा, सरकार मां होती है। मां ने भरपूर दूध पिलाया है। अब दूध का कर्ज चुकाने का वक्त है। पंचायत सचिवों की मांगें पूरी होंगी, चाहे सड़क, पुल सहित अन्य के बजट में कटौती करना पड़े तो करेंगे।

चुनाव आयोग में शिकायत, कलेक्टरों से मांगी रिपोर्ट –
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने कहा, कोलारस और मुंगावली उपचुनाव के कारण मुख्यमंत्री निवास में पंचायत सचिव सम्मेलन चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है। हमने चुनाव आयोग और प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय (सीईओ) में इस बारे में शिकायत की है। इस पर सीईओ ने गुना और अशोकनगर कलेक्टरों से रिपोर्ट मंाग कर पूछा है कि सम्मेलन में कितने पंचायत सचिव पहुंचे। सभी की सूची और एजेंडा भी मांगा है। चतुर्वेदी ने कहा, पंचायत सचिवों को लाभ मिलना चाहिए, लेकिन चुनाव आचार संहिता के बावजूद सरकार मतदाताओं को प्रलोभन दे रही है।