Jharkhand Assembly Elections Results 2019: रघुवर दास की किस्मत ने दिया धोखा तो इनके सिर सज सकता है सीएम का ताज

नई दिल्ली. झारखंड विधानसभा (Jharkhand assembly Election 2019) के चुनावों के नतीजों के रुझानों ने सभी दलों की धड़कनें बढ़ा दी हैं. अब तक आए रुझानों में बीजेपी और कांग्रेस,जेएमएम व आरजेडी गठबंधन के बीच बहुमत को लेकर कांटे की टक्कर दिख रही है. पल पल बदलते नतीजे हर पल बदलते रुझान नई संभावनाओं को जन्म दे रहे हैं. झारखंड के अब तक चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो यहां पर कोई भी सीएम वापसी तो क्या अपना खुद का चुनाव भी नहीं बचा पाया है. ऐसे में झारखंड के सीएम रघुवर दास की किस्मत ने भी धोखा दिया तो ऐसे कौन से चेहरे होंगे, जिनके सिर पर सीएम का ताज सज सकता है.
हेमंत सोरेन हैं महागठबंधन के चेहरे
सबसे पहला नाम झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख हेमंत सोरेन का नाम है. वह इन चुनावों में दो सीटों से मैदान में हैं. दुमका से वह पीछे चल रहे हैं, बरहेट से भी वह वह पीछे हो रहे हैं. अगर महागठबंधन बहुमत के करीब पहुंचता है तो वह सीएम होंगे, लेकिन इस बात की पूरी संभावना है कि उन्हें डिप्टी सीएम पद आजसू या बाबूलाल मरांडी की जेवीएम को देना पड़े. ये दोनों पार्टियां क्रमश: 4 और 3 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं. ऐसे में इनका किसी भी ओर जाना सत्ता संतुलन को बना और बिगाड़ सकता है.
बाबूलाल मरांडी भी चौंका सकते हैं
जिस तरह के परिणाम झारखंड में ईवीएम से निकल रहे हैं. ऐसे में वहां किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. खासकर छोटे दल यहां पर किसी भी तरह की नई संभावनाओं को जन्म दे सकते हैं. अगर महागठबंधन नंबर गेम में पिछड़ा तो बीजेपी आजसू या जेवीएम को अपनी ओर ला सकती है. कभी बीजेपी में रहे बाबूलाल मरांडी वैसे तो कह चुके हैं कि वह कमल का दामन नहीं थामेंगे, लेकिन संभव है कि बीजेपी यहां पर सत्ता बचाने के लिए उन्हें भी राज्य का सीएम पद सौंप सकती है. अगर बीजेपी से बात नहीं बनी तो कांग्रेस कर्नाटक की तरह यहां भी तुरुप का इक्का फेंक कर मरांडी को बड़े पद का लालच दे सकती है.
सुदेश महतो भी कर सकते हैं तोलमोल
आजसू के सुदेश महतो भी राज्य में सीएम पद का चेहरा बन सकते हैं. ठीक चुनाव से पहले उन्होंने बीजेपी से अलग होकर अपनी इच्छा को न कहते हुए भी जता दिया था. ऐसे में जो भी पार्टी उनका समर्थन मांगेगी, उसके सामने वह अपनी बड़ी मांग रख सकते हैं. सुदेश महतो अब तक बीजेपी के साथ ही रहे हैं, लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र के नतीजों ने उनकी महत्वकांक्षा को पंख लगा दिए हैं. अब वह अगर बीजेपी का साथ देंगे तो उसके लिए बड़ी कीमत वसूलेंगे.