आधी रह गई आम की आवक, क्या खाएंगे आप और क्या जाएगा अमेरिका?

भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर के इररैडिएशन केन्द्रों पर गुजरात समेत कई राज्यों से आम की ताजा पैदावार का पहुंचना शुरू हो गया है. भारत से अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया आम को एक्सपोर्ट करने के लिए इन केन्द्रों से आम का गुजरना जरूरी होता है. इन इररैडिएशन केन्द पर परीक्षण के बाद ही ये आम विदेशों में खाने लायक होते हैं.

लेकिन इस साल जहां आम की पैदावार को लेकर कयास लगाया जा रहा था कि अमेरिका को किए जाने वाले आम के एक्सपोर्ट में 40 फीसदी तक इजाफा देखने को मिलेगा वहीं बीते एक हफ्ते के दौरान देश की अहम आम मंडियों में आम की आवक पहुंचने से अब कयास पलट रहा है.

इस साल देश में आम की पैदावार में बड़ी गिरावट देखने को मिलेगी. ऐसा इसलिए कि गुजरात और और कर्नाटक में भीषण गर्मी और दिसंबर के दौरान आए तूफान ओखी ने आम के पेड़ों को भारी नुकसान पुहंचाया था. इसके बाद उत्तर भारत के मौसम में हो रहे बदलाव से उत्तर प्रदेश में आम की पैदावार पर सवाल खड़ा हो रहा है.

गुजरात में आधी रहेगी आम की पैदावार?

गुजरात सरकार के एक शुरुआती सर्वे से पता चला है कि राज्य के जूनागढ़ और गीर-सोमनाथ इलाकों में पहले दिसंबर के दौरान आए ओखी तूफान और फिर मार्च-अप्रैल के दौरान गर्मी के प्रकोप से आम की फसल के लिए मौसम खराब रहा है. इस प्रतिकूल मौसम के चलते गुजरात में आम की पैदावार लगभग लगभग आधी रहने की उम्मीद है. वहीं यह हाल के वर्षों में आम की पैदावार को होने वाले नुकसान का यह सबसे बड़ा आकलन है. इसके चलते आम कारोबारियों को डर है कि इस साल अमेरिका एक्सपोर्ट होने वाले आम में भी बड़ी गिरावट देखने को मिलेगी.

केन्द्रीय कृषि मंत्री पुरषोत्तम रुपाला ने भी इस बात को मानते हुए कहा है कि अभी गुजरात सरकार आम की पैदावार को होने वाले नुकसान और उससे किसानों को पहुंचने वाले नुकसान का आंकलन कर रही है. गुजरात सरकार के एक शुरुआती सर्वे के मुताबिक खराब मौसम के चलते समूचे सौराष्ट्र इलाके में आम की पैदावार 40-45 फीसदी गिरावट देखने को मिलेगी. वहीं गुजरात सरकार के कृषि मंत्री ने इस सर्वे के आधार पर माना है कि खराब मौसम के चलते जूनागढ़ इलाके में 50 से 55 फीसदी और गीर सोमनाथ जिले में 55 से 60 फीसदी की गिरावट आम की पैदावार में दर्ज होगी.

गौरतलब है कि गुजरात देश में पांचवां सबसे बड़ा आम उत्पादक राज्य है. आम उत्पादक राज्यों में शीर्ष पर उत्तर प्रदेश के अलावा आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना हैं. गुजरात का जूनागढ़ और गीर सोमनाथ केसर आम के लिए प्रसिद्ध है. इस साल जहां जूनागढ़ में लगभग 8,500 हेक्टेयर में आम के बाग हैं वहीं, गीर सोमनाथ में 15,500 हेक्टेयर में आम के बाग मौजूद हैं. दक्षिण गुजरात के वलसाड, नवसारी और सूरत जिले में अलफॉन्सो आम प्रसिद्ध है. इन दोनों आम की किस्मों के अलावा भारत से अमेरिका भेजे जाने वाले आमों में उत्तर प्रदेश का दशहरी आम अहम है.

तेलंगाना में मौसम की भेंट चढ़ा दिल्ली का पहला आम

देश की राजधानी दिल्ली में सबसे पहले ताजा आम पहुंचाने के लिए विख्यात तेलंगाना का खम्मम जिला इस बार मौसम की मार झेल चुका है. तेलंगाना के इस जिले में लगभग 43,000 एकड़ में आम के बाग मौजूद हैं. पिछले साल देश की राजधानी दिल्ली और अमेरिका में सबसे पहले आम पहुंचाने वाले इस जिले ने रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन करते हुए लगभग लगभग 70,000 टन आम का कारोबार किया था. तेलंगाना के इस जिले में आम की आवक के लिए पेनुबल्ली, वेमसूर और सतुपल्ली मंडल बेहद अहम हैं.

इस साल मार्च अप्रैल के दौरान खराब मौसम और तेज हवा के साथ हुई बे-मौसम बारिश के चलते खम्मम में आम के बागों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. इस बे-मौसम बारिश में पेड़ों पर लदे आधे से अधिक आम गिर गए और किसानों के सामने इस साल अपनी लागत निकालने का सवाल खड़ा हो गया है. इसके साथ ही पिछली बार रिकॉर्ड आवक के साथ राजधानी दिल्ली तक सबसे पहले आम पहुंचाने वाले इस जिले ने आम के प्रेमियों को निराश कर दिया है.

फीका पड़ा बंगानापल्ली का स्वाद

आंध्रप्रदेश से आने वाला बंगानापल्ली किस्म का आम देश और दुनिया में अपने स्वाद के लिए जाना जाता है. आम के सीजन में यह आम भी बाजार में पहले आने वाली किस्मों में शुमार है. लेकिन इस साल इस बंगानापल्ली आम ने भी लोगों को निराश किया है. आंध्रप्रदेश के कृषि विभाग के मुताबिक बेमौसम बारिश ने इस साल पेड़ों पर लदे आम को समय से पहले गिरा दिया. इसके चलते बंगानापल्ली की आवक भी बाजार में घट कर आधी रह गई है.

इस आम की पहली आवक बाजार में शुरू हो चुकी है लेकिन अधिक मांग और कम सप्लाई के चलते बंगानापल्ली की कीमत आसमान छू रही है. कृषि विभाग के आंकड़ों को मुताबिक जहां सामान्य तौर पर इस आम की आवक 16 से 18 लाख टन तक रहती है इस बार खराब मौसम के चलते महज 8 से 10 लाख टन आम ही बाजार पहुंच पाएगा. गौरतलब है कि इस आम की उत्तर भारत में बड़ी मांग के साथ-साथ अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी बड़ी मांग रहती है. वहीं कुछ कारोबारियों का यह भी दावा है कि इस साल आम के पेड़ों पर मौसम की मार के चलते स्वाद पर भी असर पड़ा है.

उत्तर प्रदेश के दशहरी पर मंडरा रहा खतरा?

बीते एक हफ्ते से उत्तर भारत में मौसम सामान्य नहीं है. बीते हफ्ते उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में आए तेज तूफान ने मलिहाबाद के दशहरी आमों को नुकसान पहुंचाया है. वहीं मौसम विभाग का मानना है कि अगले कुछ दिन प्री-मानसून डिस्टर्बेंस के लिहाज से अहम है और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में तेज हवाएं और आंधी आने की संभावना है. गौरतलब है कि इस समय उत्तर प्रदेश का खास दशहरी आम पेड़ों पर लदा है. वहीं, मौसम विभाग की चेतावनी और मौसम के बदलते मिजाज को देखते हुए किसानों को पेड़ों पर लदे आमों के टूटने का डर है. हालांकि राज्य सरकार ने फिलहाल आम की आवक पर किसी तरह के खतरे की बात नहीं कही है लेकिन संभावना है कि यहां भी आमों पर मौसम का असर पड़ सकता है.