लोकायुक्त ने रंगे हाथों पकड़ा फिर भी 11 साल से सरकार नहीं दे रही अभियोजन की मंजूरी

अध्यक्ष, सीएमओ, इंजीनियरों सहित 80 से अधिक अफसरो पर 2013 से 2024 लोकायुक्त मेें दर्ज है प्रकरण लेकिन आगे कार्यवाही रुकी
भोपाल।
प्रदेश के नगरीय निकायों में अध्यक्ष, मुख्य नगर पालिका अधिकारी, सब इंजीनियर, सहायक, राजस्व निरीक्षक सहित अन्य अस्सी से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों को लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा है, कहीं गबन-घोटाले और वित्तीय अनियमितताओं के मामलों में शिकायतों और जांच के बाद लोकायुक्त पुलिस ने इनके खिलाफ अपराध पंजीबद्ध भी किए है लेकिन नगरीय प्रशासन आवास एवं विकास विभाग इनके खिलाफ लोकायुक्त को आगे कार्यवाही करने के लिए अभियोजन स्वीकृति नहीं दे रहा है। ये मामले 11 साल पहले 2013 से लेकर 2021 के बीच दर्ज किए गए है और लोकायुक्त ने तब से लेकर 2024 तक इन अफसरों की जांच के बाद कार्यवाही के लिए अभियोजन स्वीकृति मांगी है लेकिन विभाग के स्तर पर यह अनुमति नहीं मिल पा रही है।
लोकायुक्त पुलिस किसी प्रकार की आर्थिक अनियमितता की शिकायत सामने आने पर जांच करना होता है। इसके बाद पुख्ता प्रमाण मिलने पर प्रकरण पंजीबद्ध किया जाता है। फिर इन मामलों में दोषियों पर आगे कार्यवाही करने के लिए लोकायुक्त पुलिस विभागों के अफसरों से अभियोजन स्वीकृति लेती है फिर आगे कार्यवाही करती है। लेकिन हालात यह है कि विभाग अभियोजन स्वीकृति नहीं दे रहा है और ये अफसर आगे की कार्यवाही से बचे हुए है। कुछ तो बिना कार्यवाही के सेवानिवृत्त भी हो चुके है और कुछ अन्य स्थानों पर ट्रांसफर हो गए है।
सबसे पुराना मामला 19 नवंबर 2013 का है जिसमें अकोडा नगर पंचायत भिंड के तत्कालीन सीएमओ रामेश्वर दयाल यादव और सब इंजीनियर मुरारी लाल शर्मा आरोपी है। इनके खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध होंने के बाद आगे कार्यवाही करने के लिए 3 मई 2018 और 16 अक्टूबर 2018 को लोकायुक्त पुलिस ने पत्र भेजकर अभियोजन स्वीकृति मांगी है। लेकिन राज्य शासन के स्तर पर अभी तक अनुमति नहीं दी गई है। एक दूसरा मामला भिंड की फूफ नगर पंचायत का तीन दिसंबर 2013 में दर्ज किया गया। इसमें तत्कालीन सब इंजीनियर मुरारीलाल शर्मा, हनुमंत सिंह भदौरिया और लेखापाल ब्रजकिशोर आरोपी है। इनके खिलाफ लोकायुक्त पुलिस 2028 से अभियोजन स्वीकृति मांग रही है। फूफ नगर पंचायत में ही तीसरा मामला तीन दिसंबर को तत्कालीन सीएमओ अरविंद मिश्रा, सीएमओ सुरेशचंद्र जैन और रामविलास गुप्ता के खिलाफ दर्ज है। इसमें 2018 से लोकायुक्त पुलिस को अभियोजन स्वीकृति नहीं मिल पाई है।
इन निकायों के सीएमओ के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति नहीं-
भिंड जिले की अकोडा नगर पंचायत में 29 नवंबर 2013 को दर्ज मामले में तत्कालीन प्रभारी सीएमओ प्रमोद कुमार बरुआ, रामेश्वर दयाल शर्मा, सुरेश चंद्र शर्मा के खिलाफ 2022 से अनुमति नहीं मिल पा रही है। सबलगढ़ नगरपालिका मुरैना में तत्कालीन सीएमओ मुन्नालाल करौजिया, सतीश बंसल , तत्कालीन अध्यक्ष सुशीला धाकड़, सीएमओ प्रदीप शर्मा, नगर पालिका दमोह में तत्कालीन अध्यक्ष शिवकुमारी शिवहरे, कटनी जिले में विजयराघौगढ़ नगर परिषद के मुख्य नगर पालिका अधिकारी आरके पटेल, पिछोर नगर पालिका में सुधी मिश्रा, बड़वानी की राजपुर नगर परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष राजेन्द्र मालवीय, आगर मालवा नगर पालिका परिषद के मुख्य नगर पालिका अधिकारी छिद्दा सिंह जाट, थांदला नगर परिषद के तत्कालीन सीएमओ एमआर निंगवाल, तत्कालीन नगर परिषद अध्यक्ष सुनीता बसावा पर तीन मामले, थांदला नगर परिषद के तत्कालीन सीएमओ एलएस डोडिया, थांदला नगर परिषद के पूर्व सीएमओ एलएस डोडिया, दमोह नगर पालिका के पूर्व सीएमओ शिवकुमार शिवहरे, नगर पालिका उज्जैन के तत्कालीन अपर आयुक्त रविन्द्र जैन, सतना नगर निगम के प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी रमाकांत शुक्ला सहित कई इंजीनियर, राजस्व निरीक्षक, सहायक और अन्य अमले पर दर्ज प्रकरणों में अभियोजन स्वीकृति नहीं दी जा रही है। इसके कारण आगे कार्यवाही रुकी हुई है।