इराक में अपनों को खोने वाले परिजनों ने पूछा-हमें अंधेरे में क्यों रखा

नई दिल्ली : इराक में करीब साढ़े तीन साल पहले लापता हुए 39 भारतीय नागरिकों की मौत की घोषणा किए जाने के बाद परिजनों की आखिरी उम्मीद भी टूट गई है, जिसके बाद उन्होंने सरकार से पूछा कि आखिर उन्हें अंधेरे में क्यों रखा गया। उनकी यह भी शिकायत है कि अधिकारियों ने उन्हें उनके प्रियजनों के मारे जाने के बारे में आधिकारिक जानकारी नहीं दी। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया था कि आईएस ने इराक के मोसुल से जून 2014 में अगवा किए गए सभी 39 भारतीयों को मार डाला। उनके इस ऐलान के बाद पीड़ित परिवारों पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा।
इराक में जान गंवाने वाले लोगों में निशान (31) के भाई सरवन भी शामिल हैं। इस मामले में देरी से घोषणा पर निराशा जताते हुए उन्होंने कहा, ‘सरकार ने इन वर्षों में हमें अंधेरे में रखा। चार साल बाद उन्होंने स्तब्ध करने वाला बयान दिया। हमने केंद्रीय मंत्री (सुषमा स्वराज) से 11 से 12 बार मुलाकात की और हमें बताया गया कि उनके सूत्रों के मुताबिक लापता भारतीय जीवित हैं। अचानक अब क्या हो गया? सरकार को झूठे बयान देने की बजाय यह कहना चाहिए था कि उनके पास लापता भारतीयों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।’
गोबिंदर सिंह के परिवार को टीवी चैनलों के जरिये उनकी मौत की सूचना मिली। उनके छोटे भाई दविंदर सिंह कहते हैं, ‘हमें 39 भारतीयों के मारे जाने की पुष्टि की खबर के संबंध में केंद्र सरकार से किसी तरह की सूचना नहीं मिली।’ धरमिंदर कुमार (27) की बहन डिंपलजीत कौर ने भी कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘हमें सरकार की ओर से झूठे आश्वासन मिले। हमारी सारी उम्मीदें खत्म हो गईं।’
वहीं, मेहता गांव की रहने वाली गुरविंदर कौर अपने भाई के दुर्भाग्य और उन पर आई आपदा को याद कर रो पड़ीं। उन्होंने बताया कि उनका भाई मनजिंदर सिंह रोजगार के लिए इराक गया था। एक दिन भाई ने इराक से फोन पर बताया कि वह फंस गया है और आतंकी गतिविधियों की वजह से पैदा हुए हालात के कारण उसका वहां से निकल पाना मुश्किल लग रहा है। वह कहती हैं, इन वर्षों में भारत सरकार ने उनसे सहानुभूति से बात करने के अलावा और कुछ भी नहीं किया।