धूमकेतु की धूल के लिए अमेरिका और जापान आमने-सामने, जानिए क्या है पूरा मामला

अमेरिका और रूस समेत कई देश जहां चांद और मंगल पर जीवन की तलाश में लगे हैं, वहीं जापान और अमेरिका धूमकेतु से धूल लाकर उसपर आगे जांच करने की तैयारी में लगे हुए हैं। इसके लिए इन दोनों देशों ने अपने-अपने अंतरिक्ष यान छोड़ रखे हैं, जो अगले साल तक यह कारनामा कर सकते हैं।

चावल के तीन दानों के बराबर होगा वजन : जापान ने रायगु नामक धूमकेतु पर हायाबुसा-2 नाम से अंतरिक्ष यान 3 दिसंबर 2014 को छोड़ा। यह जून 2018 में रायगु पर पहुंच गया। वहां से नमूने लेकर अगले साल यानी 2020 में इसके धरती पर पहुंचने की उम्मीद है। आपको जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि इस अंतरिक्ष यान का लक्ष्य केवल तीन मिलीग्राम धूल लाना है, जो चावल के तीन दानों के बराबर वजन की होगी। इस काम के लिए जापान पिछले दो दशक से लगा हुआ।

हायाबुसा-2 से ज्यादा ताकतवार होगा ओरिसिस : जापान जहां रायगु के पीछे लगा है वहीं अमेरिका बेनू नामक धूमकेतु से धूल लाने की तैयारी में है। यह पहली बार है जब दो देश एक ही तरह के मिशन पर एक ही समय में लगे हैं। अमेरिका का ओरिसिस आरईएक्स जापान के हायाबुसा-2 की तुलना में करीब 20 हजार गुना अधिक धूल लाने की तैयारी में है। यह बेनू से दो किलो धूल लाएगा। ओरिसिस को सितंबर 2016 में छोड़ा गया और बेनू पर दिसंबर 2018 में पहुंच गया है। ओरिसस के 24 सितंबर 2023 को धरती पर आने की संभावना है।

इस वजह से रायगु-बेनू का चुनाव : सौरमंडल में करीब पांच लाख धूमकेतु हैं। इनमें केवल सात हजार ही पृथ्वी के करीब हैं जिनमें सिर्फ 192 से नमूने इकठ्टा लेकर वापस आने की संभावना है। रायगु और बेनू सहित पांच ही ऐसे धूमकेतु हैं, जो कार्बन की अधिकता, पृथ्वी से नजदीक होने, नमूने लेकर वापसी की संभावना के साथ अपनी चाल को लेकर भी मानदंड पर खरे उतरते हैं।

धूमकेतु की सतह को छुए बिना करेंगे कारनामा : दोनों देशों के अंतरिक्ष यान के लिए रायगु और बेनू से धूल लाना इतना आसान नहीं है। इन धूमकेतु पर धूलभरी तेज आंधी और गुरुत्वाकर्षण के कारण पिछले मिशन में अंतरिक्ष यान के पहिए और धूल इकट्टा करने वाले यंत्र खराब हो चुके हैं। इसके लिए इस बार अंतरिक्ष यान धूमकेतु की सतह को छुए बगैर वहां से धूल लाने की तैयारी में है। यह एक तरह के धूमकेतु पर सर्जिकल स्ट्राइक की तरह होगा।

दोनों देश उपहार में देंगे धूल : जापान और अमेरिका अपने-अपने अंतरिक्ष यान द्वारा लाई गई धूल का कुछ हिस्सा एक दूसरे को उपहार में देंगे। इसके लिए जापान के अंतरिक्ष विभाग जेएएक्सए और अमेरिका के नासा ने एक समझौता किया है। समझौते अनुसार जापान रायगु से लाई गई धूल का 10 फीसदी अमेरिका को देगा। वहीं अमेरिका इसके बदले में इसके डेढ़ गुना वजन की बेनू से लाई गई धूल जापान को देगा। इस कवायद का मकसद खर्च को बचाते हुए शोध के लिए अधिकतम नमूने इकठ्टा करना है।