अदालत से राहत नहीं: जानें- बरी या सजा होने के केस में आसाराम के सामने क्या हैं रास्ते

नई दिल्ली: जोधपुर अदालत ने युवती के साथ रेप मामले में आसाराम को दोषी माना है। इस केस में कुल 5 आरोपी हैं। आसाराम के अलावा शिवा उर्फ सवाराम (आसाराम का प्रमुख सेवादार), प्रकाश द्विवेदी (आश्रम का रसोइया), शिल्पी उर्फ संचिता गुप्ता, शरदचंद्र उर्फ शरतचंद्र भी इस केस में आरोपी हैं। मामले की धीमी सुनवाई के लिए पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को फटकार भी लगाई थी। अबतक कुल 12 बार आसाराम की जमानत अर्जी ट्रायल कोर्ट, राजस्थान हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज की जा चुकी है।

सजा होने पर आसाराम के सामने रास्ते
केंद्रीय कारागार में विशेष कोर्ट से आसाराम को सजा और फैसले की कॉपी मिलने के तुरंत बाद उनके वकील गुरुवार को राजस्थान उच्च न्यायालय में सजा को स्थगित करने और सजा के खिलाफ अपील कर सकते हैं। फैसले की कॉपी मिलने और वकीलों द्वारा स्टडी करने में समय लग सकता है। माना जा रहा है कि शुक्रवार को केस डायरी मंगवाई जा सकती है। शनिवार को अवकाश रहेगा इसलिए उच्च न्यायालय में आसाराम की ओर से सजा के खिलाफ रोक और सजा के खिलाफ अपील पेश की जाती है तो उसकी सुनवाई सोमवार को ही होगी।

बरी होने पर आसाराम के सामने रास्ते

इस केस में आसाराम को जमानत मुचलके पर रिहा किया जा सकता है लेकिन गुजरात में चल रहे मामले में पुलिस आसाराम को तुरंत न्यायिक हिरासत में ही गुजरात भेज सकती है। गुजरात पुलिस खुद बुधवार को आकर आसाराम को गिरफ्तार कर गुजरात ले जा सकती है। आसाराम के खिलाफ गुजरात में भी यौन दुराचार और हत्या जैसे संगीन मामले विचाराधीन हैं। राजस्थान सरकार की ओर से आसाराम के बरी होने के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील पेश की जा सकती है। हालांकि अपील कब पेश की जाएगी, यह सरकार पर निर्भर करेगा। आसाराम-नारायण साईं पर गंभीर आरोप
आसाराम को जोधपुर केस में गिरफ्तार कर लिया गया था, उसके दो महीने बाद ही गुजरात के सूरत की दो बहनों ने आसाराम और उनके बेटे पर बलात्कार का आरोप लगाया था। बड़ी बहन की शिकायत के मुताबिक, आसाराम ने 2001 से 2006 के बीच कई बार उनका यौन शोषण किया था, छोटी बहन ने नारायण साईं पर रेप का आरोप लगाया था। इसके बाद दिसंबर 2013 में नारायण साईं को भी गिरफ्तार किया गया था। वह सूरत जेल में बंद हैं।