भावांतर योजना: अब खेत से मंडी तक मध्यप्रदेश सरकार पहुंचाएगी फसल

भोपाल .भावांतर योजना में शामिल किसानों की फसल को खेत से मंडी तक पहुंचाने की व्यवस्था अब सरकार करेगी। कृषि विभाग के एक आदेश के मुताबिक खेत और मंडी के बीच 15 किमी या इससे अधिक दूरी होने पर ट्रैक्टर-ट्रॉली के खर्च का भुगतान मंडी से होगा। लेकिन अधिसूचित आदिवासी बाहुल्य जिलों में यह व्यवस्था कलेक्टर के अधीन होगी। भुगतान किस दर से होगा, यह कलेक्टर, आरटीओ और मंडी सचिव की समिति तय करेगी। दस्तावेजों के आधार पर बेची गई फसल का सत्यापन होने के बाद ही परिवहन खर्च का भुगतान होगा।

– इसके लिए योजना में पंजीकृत किसान को ट्रैक्टर-ट्रॉली उपयोग संबंधी देयक और मंडी में विक्रय करने के प्रमाण के तौर पर मंडी समिति द्वारा जारी किए गए अनुबंध पत्र, तौल पर्ची, भुगतान पर्ची की स्वप्रमाणित कॉपी संबंधित मंडी समिति को दिखानी होगी।

– इसी तरह प्रदेश के गैर आदिवासी जिलों में कस्टम हायरिंग सेंटर से ट्रैक्टर-ट्रॉली उपलब्ध कराई जाएंगी। इन जिलों में भी भाड़े की दर कलेक्टर की अध्यक्षता वाली समिति करेगी। कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय ने राज्य में 1825 कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए हैं।

शहडोल में हो चुका है पायलट प्रोजेक्ट
– यह व्यवस्था शहडोल कमिश्नर बीएम शर्मा ने आदिवासी बाहुल्य कुछ क्षेत्रों में बतौर पायलट प्रोजेक्ट शुरू की है। पिछले दिनों वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान शर्मा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस बारे में अवगत कराया था। इसके बाद सरकार ने इसे पूरे प्रदेश में लागू करने का निर्णय लिया।

किसान लाइसेंसी गोदाम में उपज रखना चाहे तो सरकार देगी खर्च
– किसान यदि अपनी उपज कुछ माह बाद बेचना चाहे ताकि उसे अच्छी कीमत मिले, तो वह लाइसेंसी गोदाम में अनाज रख सकता है। इसके लिए सरकार 9.90 रुपए प्रति क्विंटल प्रति दिन या वास्तविक भुगतान, जो भी कम हो उसका भुगतान किसान के खाते में कर देगी।