भोपाल गैस त्रासदी: 33 साल बाद भी नहीं सुधरे पीड़ितों के हालात

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के गैस त्रासदी को 3 दिसंबर 2017 को 33 साल पूरे हो जाएंगे. लेकिन इस त्रासदी के शिकार लोगो को आज भी राहत नहीं मिली है. इस हादसे का खामियाज़ा पीड़ितों की तीसरी पीढ़ी भी भुगत रही है.
भोपाल गैस हादसा देशभऱ का सबसे बड़ा उद्योगिक हादसा है. इस त्रासदी से हज़ारों घर के चिराग बुझ गए थे. इस त्रासदी ने कईयों के घर परिवार और सूकून भी छीन लिया था.
इस त्रासदी का असर पीड़ितों की तीसरी जनरेशन में भी दिखाई दे रहा है. इन्ही हालातों को देखते हुए भोपाल में कई संस्थाएं काम कर रही हैं. मगर गैस त्रासदी पीड़ितों के बच्चो के लिए चिंगारी ट्रस्ट एक अलग ही काम कर रहा है, जिसमें गैस पीड़ित वो बच्चे आते हैं जो पैदाईशी विकलांग हैं, चिंगारी ट्रस्ट इन बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए अपनी लगातार कोशिशें कर रहा है लेकिन ये कोशिशें सरकार की मदद के बगैर अधूरी हैं.
भोपाल की संस्था चिंगारी ट्रस्ट इन डिसेबल बच्चों की फिज्योथेरेपी और स्पीक थेरेपी के ज़रिए इलाज कर इनको आम बच्चों की तरह जीनवशैली में लौटाने की ज़द्दोज़हद में लगा है. इनकी कोशिशों का ही नतीजा है की अबतक 70 पीड़ित बच्चे समाज की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं.
चिंगारी ट्रस्ट की मेहनत को देखते हुए पीड़ित लोग अपने बच्चों को रोज़ थेरेपी दिलाने आते हैं और उन्हें उम्मीद है की जल्द ही उनके बच्चे भी सामान्य बच्चों की तरह अपनी जिंदगी गुज़ार सकेंगे