तीन साल में लगाए 25.62 करोड़ पौधे, फिर क्यों नहीं बढ़े जंगल’

बिलासपुर। हरियर छत्तीसगढ़ योजना के तहत बीते 3 साल में राज्य के भीतर 25.62 करोड़ पौधे लगाए गए। इसके पहले भी पौधरोपण किया गया था। इन सबके बाद भी प्रदेश में जंगल क्यों नहीं बढ़े। जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट की डीबी ने शासन को नोटिस जारी कर यह सवाल पूछा है। जवाब तीन सप्ताह में मांगा गया है।

रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका में बताया है कि राज्य बनने के बाद यहां 3 प्रतिशत यानी करीब 37 सौ वर्ग किलोमीटर जंगल कम हुए हैं। हरियर छत्तीसगढ़ योजना के तहत वर्ष 2015 में 10 करोड़, 2016 में 7 करोड़ 60 लाख और 2017 में 8 करोड़ 2 लाख पौधे लगाए गए।

वर्ष 1986 में मध्यप्रदेश के समय से जारी प्लांटेशन तकनीक के अनुसार जगह का चयन पौधरोपण करने से एक साल पहले ही किया जाना चाहिए। वैज्ञानिकों के अनुसार गर्मियों में ही इसके लिए गड्ढे की खुदाई होनी चाहिए और पौधों की देखरेख 3 वर्षों तक होनी चाहिए।

वन विभाग ने वर्ष 2013 में निर्देश दिया कि हर हालत में 20 जुलाई तक पौधरोपण कार्य पूर्ण हो जाना चाहिए। बरसात या विषम परिस्थिति में 31 जुलाई तक किया जा सकता है। हालांकि इसके लिए मुख्यालय से अनुमति लेनी होगी।

वर्ष 2017 में तो हरियर कार्यक्रम ही 20 जुलाई को शुरू किया गया। गर्मियों में गड्ढे खोदने की बजाय रायपुर में पौधरोपण के लिए जगह ढूंढने का आदेश बरसात शुरू होने के बाद 20 जून को दिया गया। धनसुली में अगस्त में वन अधिकारियों ने अपने सामने गड्ढे खुदवाकर पौधरोपण कराया।

आक्सीजोन रायपुर में सितंबर में गड्ढे खोदे जा रहे थे। यहां तक कि डिवाइडर में भी सागौन के पौधे लगा दिए गए। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा निरीक्षक ने भी आपत्ति की है कि पौधरोपण बिना योजना के कर दिया जाता है। स्थान को को लेकर ध्यान नहीं दिया जाता।

पौधरोपण के बाद देखरेख के लिए फंड भी नहीं दिया जाता। याचिका में बताया गया कि वन विभाग मुख्यालय के पास वर्ष 2001 से 2017 के बीच प्रदेश में हुए पौधरोपण के आंकड़े ही नहीं है। याचिका में पौधरोपण नियमानुसार करने और इसके लिए अलग से फंड की व्यवस्था किए जाने की मांग की गई है।

याचिका में सोमवार को चीफ जस्टिस टीबी राधाकृष्णन व जस्टिस शरद कुमार गुप्ता की डीबी में सुनवाई हुई। कोर्ट ने राज्य शासन, वन विभाग, वन विकास निगम समेत अन्य को नोटिस जारी कर 3 सप्ताह में जवाब मांगा है।