हिमाचल में धूमल और गुजरात में रूपानी पर फिर से दांव लगा सकती है भाजपा

नई दिल्ली। गुजरात और हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री तय करने में भाजपा नेतृत्व 2019 के लोकसभा चुनावों के समीकरणों को ध्यान में रखेगा। पार्टी को दोनों राज्यों में नेता तय करने की जल्दी नहीं है और एक-दो दिन बाद ही इस बारे में फैसला किया जाएगा। गुजरात में जीत कर आए मुख्यमंत्री विजय रूपानी और उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल पर ही पार्टी फिर से दांव लगा सकती है, लेकिन हिमाचल में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल के हार जाने के बाद पार्टी को नए सिरे से कवायद करनी पड़ रही है।

गुजरात में भाजपा को कुछ झटका लगा है, लेकिन विपक्ष के साथ कड़े मुकाबले में भी सरकार बनाने में मिली सफलता को देखते हुए नेतृत्व परिवर्तन के आसार कम हैं। हालांकि पार्टी का एक वर्ग राज्य के जातीय समीकरणों को देखते हुए मुख्यमंत्री पद पर नए नेतृत्व को सौंपने के पक्ष में है। इसके लिए केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला, मनसुख भाई मंडाविया और आरसी फल्दू के नामों की चर्चा है।

हिमाचल प्रदेश में भी पार्टी जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए फैसला करेगी। वहां पर धूमल की हार के बाद नए नेता के चुनाव के लिए प्रदेश के नेताओं से बातचीत शुरू हो गई है। सूत्रों के अनुसार धूमल समर्थक कोशिश कर रहे हैं कि हार के बाद भी धूमल को ही मुख्यमंत्री बनाया जाए, क्योंकि उनके नेतृत्व में पार्टी ने जीत दर्ज की है। वहीं केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा के समर्थक भी सक्रिय हो गए हैं। एक नाम राज्य के संघ से जुड़े व पूर्वोत्तर में प्रचारक अजय जाम्बवाल का भी है। इन सबके बीच चुनाव जीतने वाले तीन नेता जयराम ठाकुर, नरेंद्र बरागटा व सुरेश भारद्वाज पर सबकी नजरें टिकी हैं।

भाजपा संसदीय दल की बुधवार को बैठक में गुजरात और हिमाचल प्रदेश दोनों राज्यों की जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का अभिनंदन किया जाएगा। शाह के राज्यसभा सांसद की शपथ लेने के बाद यह पहली संसदीय दल की बैठक होगी। बैठक में जीत पर एक प्रस्ताव भी पारित किया जा सकता है।