चाबहार बंदरगाहः व्यापार के लिए भारत की राह हुई आसान, पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ी

नई दिल्ली ।
ईरान, अफगानिस्तान व भारत के लिए रविवार (3 दिसंबर) का दिन काफी महत्वपूर्ण रहा। इसी दिन ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने ईरान के चाबहार बंदरगाह परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन किया। इस दौरान भारत व अफगानिस्तान के वरिष्ठ अधिकारियों के भी मौजूद रहे। इस बंदरगाह के उद्घाटन से ईरान, भारत और अफगानिस्तान के बीच बिना पाकिस्तान जाए नए रणनीतिक ट्रांजिट रूट की शुरुआत होगी। इससे भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच व्यापार में बढ़ोतरी होगी।
अभी कुछ समय पहले ही भारत ने 11 लाख टन गेहूं का पहला शिपमेंट ईरान के चाबहार बंदरगाह के जरिए अफगानिस्तान तक पहुंचाया था। जिस पर अफगानिस्तान ने कहा था कि अब उसे माल लेने के लिए पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
आर्थिक सहयोग
भारत के लिए चाबहार बंदरगाह कई कारणों से जरूरी है। पहले और सबसे जरूरी कारण है आर्थिक सहयोग। दरअसल भारत की लगातार कोशिश है कि वह मध्य एशिया और यूरोप के देशों से आर्थिक तौर पर सीधे जुड़ सके। ऐसे में भारत को ईरान के रूप में एक बेहतर रास्ता मिला है।
भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने मई 2016 में अंतरराष्ट्रीय मार्ग को बनाने का निर्णय लिया था। तब से चाबहार बंदरगाह का काम चल रहा है। भारत चाबहार बंदरगाह के जरिए रूस, मध्य एशिया और यहां तक की यूरोप तक पहुंचना चाहता है।
रूस से भी व्यापार होगा आसान
चाबहार सिर्फ भारत के लिए ईरान व अफगानिस्तान से व्यापारिक संबंध मजबूत बनाने के लिए ही नहीं है। अपितु भारत इससे रूस के साथ भी व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने में पकड़ बनाना चाहता है।
ईरान के जरिये भारत-अफगानिस्तान व्यापार शुरू
कुछ समय पहले भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस की यात्रा के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात की थी। दोनों देशों के बीच में आर्थिक व व्यापार संबंधों को लेकर चर्चा हुई थी।
दोनों देशों के बीच में भू-राजनीतिक महत्व के अलावा भारत और रूस ने अगले 10 वर्षों में व्यापार को 30 अरब डॉलर तक बढ़ाने पर सहमत हुए थे।
भारत और पूरे यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (रूस, अर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान) द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा।
हालांकि शुरूआत में व्यापारिक गतिविधि यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के माध्यम से कम रही लेकिन अब भारत चाबहार बंदरगाह के जरिए इसे मजबूत करना चाहेगा।
चाबहार ने बढ़ाई पाकिस्तान की बेचैनी
अफगानिस्तान व भारत के बीच में चाबहार बंदरगाह के जरिए व्यापारिक संबंधों को बढ़ोतरी मिलेगी। अब पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर व्यापार के लिए निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
पाकिस्तान ने भारत पर आरोप लगाया था कि भारत अफगानिस्तान में हस्तक्षेप की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान को डर है कि कहीं भारत अफगानिस्तान के जरिए देश को नुकसान न पहुंचाए।
इसके अलावा पाकिस्तान को चाबहार बंदरगाह की वजह से आर्थिक नुकसान भी उठाना पडेगा। क्योंकि अफगानिस्तान भारत से माल अब चाबहार बंदरगाह के जरिए मंगवाएगा।
अरब सागर में प्रभुत्व
इस समय देश की सभी बड़ी शक्तियां समुद्री इलाकों पर वर्चस्व जमाने की कोशिश कर रही हैं। चीन, अमेरिका और जापान दक्षिणी चीन सागर में पैठ जमाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीँ भारत, पाकिस्तान, सऊदी अरब जैसे देश अरब सागर और हिन्द महासागर में फैलने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में यदि चाबहार बंदरगाह पर भारत का प्रभुत्व मजबूत हो जाता है, तो अरब सागर के अहम हिस्से भारत के नियंत्रण में आ सकते हैं।
जल्द ही भारत एशिया-अफ्रीका आर्थिक मार्ग के जरिये अफ्रीका के देशों से व्यापार करेगा। ऐसे में भारत के लिए यह जरूरी है कि एशिया को अफ्रीका से जोड़ने वाला समुद्री मार्ग पूरी तरह से भारत के नियंत्रण में हो।