शहद उत्पादन की चाह में चंबल चले आए राजस्थान-उत्तर प्रदेश के किसान

मुरैना। अब चंबल में किसानों की किस्मत बदलने लगी है लेकिन ये बदलाव किसी सरकारी योजनाओं की वजह से नहीं बल्कि उनकी मेहनत और लगन का परिणाम है। वैसे तो चंबल सरसों की खेती के लिए जाना जाता है, लेकिन सरसों के खेतों में शहद उत्पादन की नई तरकीब से स्थानीय किसान साल भर में लाखों रुपए की आमदनी कर रहे हैं।

दरअसल, साल 2007-08 में राज्य सरकार के निर्देश पर कृषि विज्ञान केंद्र मुरैना द्वारा मधुमक्खी पालन का काम महज 8-10 किसानों के साथ शुरू किया गया। काम शुरू में अंचल के किसानों ने कम रुचि ली, लेकिन जब कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों को फायदे बताए तो धीरे-धीरे किसान जुड़ते चले गए और वर्तमान समय में अंचल के 5 हजार से अधिक किसान मधुमक्खी पालन कर रहे हैं।

मुरैना में मधुमक्खी पालन

यहां किसान लगभग 25 करोड़ रूपए की शहद हर साल उत्पादित कर रहे है। इतना ही नहीं मुरैना में मधुमक्खी पालन करने के लिए पड़ोसी राज्य राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसान भी आते हैं। चम्बल अंचल में बेहतर शहद उत्पादन के पीछे विषय विशेषज्ञ इलाके की बेहतर जलवायु और फसल चक्र को मानते हैं।

अंचल में सरसों, तिली, बरसीम जैसी फसलें ज्यादा

उनका कहना है कि अंचल में साल भर अलग-अलग तरह की फसलें होती हैं, जिनसे मधुमक्खियां फ्लोरा हासिल करती है। इस अंचल में सरसो, तिली, बरसीम जैसी फैसलें ज्यादा होती है। साल में कुछ समय ऐसा भी आता है जब अंचल में फ्लोरा वाली फसल नहीं होती है ऐसे में पालक, धनिया और अजवाइन की फसल वाले इलाके गुना, अशोक नगर या राजस्थान के बारां और श्रीगंगा नगर चले जाते हैं।

खेती के साथ-साथ लाभ का धंधा
विषय विशेषज्ञों की मानें तो जिस इलाके में मधुमक्खी पालन किया जाता है, उस इलाके में लगने वाली फसलों से मधुमक्खी पराग लेती है। जिससे पौधे के फूल में पर परागण की तेजी से होती है और उसका उत्पादन बढ़ जाता है। वहीं इस बारे में मधुमक्खी पालकों का मानना है कि यह खेती के साथ-साथ बेहद ही लाभ का धंधा है।

किसानों को 10 से 12 लाख की आमदनी

जो किसान साल भर फसल उगाकर दो से तीन लाख रुपए कमा रहे थे। वही किसान मधुमक्खी के 100 से 300 बॉक्स लेकर 10 से 12 लाख की आमदनी हासिल कर रहे हैं। इतना ही नहीं अंचल के कुछ किसान ऐसे भी जिन के पास जमीन का एक टुकड़ा तक नहीं हैं, वह भी मधुमक्खी पालन से बेहतर आमदनी पा रहे है।

हर साल 2 राज्य स्तरीय प्रशिक्षण आयोजित

मुरैना कृषि विज्ञान केंद्र के मधुमक्खी पालन में विशेष योगदान को ध्यान में रखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने इसे 2 साल पहले ही सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस के तौर पर चिन्हित किया है। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा हर साल 2 राज्य स्तरीय प्रशिक्षण और कई स्थानीय प्रशिक्षण आयोजित कर किसानों को मधुमक्खी पालन की बारीकियां सिखाई जाती है।

शहद उत्पादन के क्षेत्र जिले का नाम प्रदेश में अव्वल

शहद उत्पादन के क्षेत्र जिले का नाम प्रदेश में अव्वल है। यहां अभी तक 5 हजार से अधिक किसान मधुमक्खी पालन से जुड़ चुके हैं। इन किसानों द्वारा 19 हजार 985 क्विंटल शहद का उत्पादन हर साल किया जा रहा है जिससे किसानों को 2 करोड़ रुपए की आय हो रही है। खास बात यह है कि मधुमक्खी पालन में महिला किसानों ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है।

900 महिलाएं मधुमक्खी पालन से जुड़ी

वर्तमान में जिले की तकरीबन 900 महिलाएं मधुमक्खी पालन से समूहों के जारिए जुड़ी हैं। इसे बढ़ावा देने के लिए प्रशासन द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कराए जा रहे हैं जिससे अन्य किसान भी मधुमक्खी पालन को अतिरिक्त आय का जरिया बनाकर सम्पन्नता के दायरे में आ सकें।