केजरीवाल के लिए फांस बना लाभ का पद, 21 विधायकों पर लटकी तलवार

दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी अब तक के सर्वाधिक बुरे दौर से गुजर रही है। अब इसी कड़ी में चुनाव आयोग भी बड़ा झटका देने की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। दरअसल, ‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ मामले में फंसे AAP के 21 विधायकों पर चुनाव आयोग कभी भी अपना निर्णय सुना सकता है।
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों के खिलाफ याचिका डालने वाले वकील प्रशांत पटेल ने एक वेबसाइट को बताया कि चुनाव आयोग में सुनवाई पूरी हो गई है। आयोग ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। प्रशांत की मानें तो अगले सप्‍ताह या फिर उसके कुछ समय बाद निर्णय आ सकता है।

प्रशांत पटेल की यह है दलील
1. राष्ट्रपति को दी गई याचिका में कहा गया था कि संसदीय सचिव सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें मंत्री के ऑफिस में जगह दी गई है। इस तरह से वे लाभ के पद पर हैं।
2. संविधान के अनुच्छेद 191 के तहत और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ऐक्ट 1991 की धारा 15 के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति लाभ के पद पर है तो उसकी सदस्यता खत्म हो जाती है।
3. संसदीय सचिव शब्द दिल्ली विधानसभा की नियमावली में है ही नहीं। वहां केवल मंत्री शब्द का जिक्र किया गया है।
4.दिल्ली विधानसभा ने संसदीय सचिव को लाभ के पद से बाहर नहीं रखा है।

गौरतलब है कि वकील प्रशांत पटेल ने कथित लाभ के पद पर होने के लिए 21 आप विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए 19 जून, 2015 को राष्ट्रपति के समक्ष पहली याचिका दायर की थी। उन्होंने चुनाव आयोग के मांगने पर अतिरिक्त दस्तावेज जमा किए थे। वहीं, आप ने दावा किया था कि संबंधित अतिरिक्त दस्तावेज दूसरी याचिका है जिन पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए।