जल्द आ सकता है बड़ा भूकंप, जानिए इस बार कहां होगी सबसे ज्यादा तबाही!

भोपाल। बुधवार की रात दिल्ली और आसपास भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। 5.5 तीव्रता वाले इस भूकंप का केंद्र उत्तराखण्ड में था। इस भूकंप से किसी नुकसान की खबर तो नहीं है, लेकिन इस भूकंप के बाद एक बार फिर से इस बात पर चर्चा तेज हो गई है कि क्या मध्य प्रदेश भी किसी बड़े भूकंप का शिकार हो सकता है। इस बारे में मौसम वैज्ञानियों का कहना है कि इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि मध्य प्रदेश ऐसे मुहाने की तरफ बढ़ रहा है, जहां पर कभी भी उसे एक बड़े भूकंप से दो चार होना पड़ सकता है।

दरअसल प्रदेश में धड़ल्ले से हो रहे अवैध उत्खनन, बेतरतीब और अनियंत्रित निर्माण किसी बड़ी तबाही की वजह बन सकते हैं। इन तमाम वजहों से प्रदेश के 28 जिलों का बड़ा भू-भाग भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील जोन चार में पहुंच चुका है। इस स्थिति में यदि कभी भी ऐसा भूकंप आता है, जिसका केंद्र मध्य प्रदेश या उसके आस पास हो तो इन 28 जिलों में बड़ा नुकसान हो सकता है। हालांकि इस बारे में किसी तरह का पूर्वानुमान लगाना असम्भव है कि भूकंप कब आएगा, लेकिन ये चिंता का विषय इसलिए बन चुका है क्योंकि पिछले कुछ सालों में भूकंप की आवृत्ति बढ़ी है।

जियोलॉजिकल एक्सपर्ट्स के मुताबिक मध्य प्रदेश में पिछले 3 सालों में भूकंप की आवृत्तियां बढ़ी हैं। भूगर्भीय हलचलों के बढ़ने की वजह से माना जा रहा है कि आने वाले समय में मध्य प्रदेश किसी बड़े भूकंप का शिकार हो सकता है। हालांकि ये भूकंप कब आएगा इसकी सटीक गणना करना असम्भव है, क्योंकि भूगर्भ शास्त्री पृथ्वी के अंदर चल रही हलचलों से इस बात की सम्भावना को व्यक्त करते हैं। लेकिन ताजा आंकड़ों के बाद यही बात सामने आ रही है कि तबाही का वो दिन ज्यादा दूर नहीं है।

सबसे खतरनाक है जोन 5
भूकंप आने की संभावना किसी भूभाग में बार बार आने वाले भूकंपों की गणना के आधार पर की जाती है, इस स्थिति को देखते हुए भू-वैज्ञानिक भूकंप के खतरे को लेकर अलग अलग जोन निर्धारित करते हैं। खतरे के हिसाब से देश के भूभाग को पांच हिस्सों में बांटा गया है, जैसे जोन-1, जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5। सबसे कम खतरे वाला जोन-1 और जोन-2 है तथा सबसे ज्यादा खतरे वाला जोन-5 है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार यहां हिमालयन क्षेत्र में भूगर्भीय गतिविधियों से भूकंप आता है।

इस लिहाज से जिस जगह इन गतिविधियों को असर कम है वह एक, दो और 3 जोन में है जहां अधिक या बहुत अधिक है। उन्हें 04 और 05 जोन में रखा गया है। जोन 04 और 05 भूकंपीय गतिविधियों के केंद्र भी हो सकते हैं।

भूकंप आया तो बर्बाद हो जाएंगे ये जिले
मौसम विज्ञानियों का अनुसार किसी बड़े भूकम्प के कारण सबसे पहले जबलपुर, खरगौन, इंदौर, खंडवा, धार, रायसेन, देवास, सीहोर, बैतूल, सीधी, शहडोल, नरसिंहपुर, दमोह, होशंगाबाद, बड़वानी, झाबुआ, उमरिया, छिंदवाड़ा, हरदा, बुरहानपुर, अनूपपुर, सागर, सिवनी, मंडला, डिंडोरी, कटनी, सिंगरौली और अलीराजपुर पर प्रभाव पड़ेगा। एक अनुमान के मुताबिक नर्मदा और ताप्ती नदी के नीचे के प्लेटों में बीच करीब 100 किमी की दरार है इसके अलावा प्रदेश की जीवनरेखा कहलाने वाली नर्मदा नदी और उसकी सहायक नदियों पर सौ से भी ज्यादा बांध बने हुए हैं, जो कि भूगर्भीय संतुलन को बिगाड़ सकते हैं। इस बिगड़े हुए संतुलन के कारण आया भूकम्प काफी विनाशकारी साबित हो सकता है।

MP पहले भी झेल चुका है भूकंप की मार
1997 में जबलपुर और आसपास के इलाकों में आए भूकंप के कारण 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। मध्यप्रदेश के बड़े भूभाग को थर्रा देने वाले इस भूकंप की वजह से प्रभावित इलाकों के कई मकान गिर गए थे, जबकि सैंकड़ों लोग घायल हुए थे। इस भूकंप के झटके जबलपुर, मंडला, छिंदवाड़ा और सिवनी में महसूस किए गए थे। रिक्टर पैमाने पर ये भूकंप 6 मैग्नीट्यूड से ज्यादा मापी गई थी। इसके बाद 22 अक्टूबर 2014 और 25 अप्रैल 2015 को भी इन्हीं इलाकों में भूकंप के झटके एक बार फिर से महसूस किए गए थे।

भूगर्भशास्त्रियों का कहना है कि मध्य प्रदेश का ये हिस्सा फॉल्ट जोन के लिहाज से काफी संवेदनशील घोषित किया जा चुका है। इतना ही नहीं, बीते कुछ वर्षों में यहां पर भूगर्भीय हलचलों में भी काफी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है, जो कि किसी बड़े भूकंप की ओर इशारा कर रही है