धौनी ने IPL के फाइनल में रचा इतिहास, सबको पीछे छोड़कर बने ‘सुपर किंग’

महेंद्र सिंह धौनी की चेन्नई सुपर किंग्स ने तीसरी बार आइपीएल का खिताब अपने नाम किया। सीएसके के कप्तान धौनी के लिए भी ये मुकाबला काफी खास बन गया सिर्फ इसलिए नहीं कि उनकी टीम ने आइपीएल ट्रॉफी पर कब्ज़ा जमाया बल्कि उन्होंने एक निजी उपलब्धि भी हासिल कर ली। खिताबी मुकाबले में धौनी को बल्लेबाज़ी का मौका तो नहीं मिला, लेकिन उन्होंने फिर भी एक ऐसा कमाल कर दिया जो आइपीएल के इतिहास में कोई खिलाड़ी नहीं कर सका था।
धौनी निकले सबसे आगे
मुंबई के वानखेडे़ स्टेडियम में रविवार को सनराइज़र्स हैदराबाद के खिलाफ आइपीएल 11 के फाइनल मुकाबले में चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी टूर्नामेंट के इतिहास में सर्वाधिक 33 स्टंपिंग करने वाले पहले विकेटकीपर बन गए। धौनी से पहले यह रिकॉर्ड 32 स्टंपिंग के साथ कोलकाता नाइट राइडर्स के विकेटकीपर रॉबिन उथप्पा के नाम था।
धौनी ने आइपीएल खिताबी मुकाबले में हैदराबाद के कप्तान केन विलियमसन को स्टंप आउट कर ये रिकॉर्ड अपने नाम किया। फाइनल मैच में करन शर्मा जब हैदराबाद की पारी का 13वां ओवर फेंक रहे थे तो उनकी पहली ही गेंद (12.1) पर विलियमसन ने बड़ा शॉट लगाने की कोशिश की, लेकिन वो गच्चा खा गए और धौनी ने गिल्लियां उड़ाने में कोई गलती नहीं की। विलियमसन आइपीएल में धौनी की स्टंपिंग का 33वां शिकार बने। विलियमसन 47 रन बनाकर आउट हुए।
यहां भी सबसे आगे हैं धौनी
आइपीएल में धौनी के नाम एक और रिकॉर्ड दर्ज़ है वो आइपीएल के इतिहास के सबसे ज़्यादा आइपीएल फाइनल खेलने वाले खिलाड़ी हैं। धौनी ने अभी तक 8 खिताबी मुकाबलों में शिरकत की है। धौनी ने सात फाइनल तो सीएसके की तरफ से ही खेले हैं जबकि एक फाइनल उन्होंने पुणे सुपर जाएंट के लिए 2017 में खेला था। महेंद्र सिंह धौनी की कप्तानी वाली चेन्नई सुपर किंग्स तीन बार इस खिताब पर कब्ज़ा जमा चुकी है। चेन्नई ने 2010 और 2011 लगातार दो सीजन में इस खिताब को अपने नाम किया था और अब 2018 में भी इस टीम ने ट्रॉफी अपने नाम कर ली है। चेन्नई की टीम चार बार इस टूर्नामेंट की रनर अप भी रही है। 2008, 2012, 2013 और 2015 में धौनी के धुरंधर आइपीएल के फाइनल में तो पहुंचे, लेकिन वो इस खिताब को अपने नाम नहीं कर सके।