CM बनने के दो महीने बाद ही हो गई थी इनकी मौत, इस प्रदेश को लगा था झटका

भोपाल। मध्य प्रदेश की स्थापना 1 नवंबर 1956 को हुई थी। यह मप्र की स्थापना का 62वां साल है। एक नवंबर को प्रदेश सरकार बड़े पैमाने पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है।
– एक नवंबर को मप्र की स्थापना हुई और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री की बागडोर पं. रविशंकर शुक्ल को मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन प्रदेश का दुर्भाग्य रहा कि शुक्ल केवल दो महीने के लिए ही प्रदेश की गद्दी संभाल सके। एक नवम्बर, 1956 को मध्यप्रदेश बना और 31 दिसंबर 1956 को, साल के आखिरी दिन, यानि दो महीने बाद ही वह दुनिया छोड़कर चले गए।
– उनके पार्थिव शरीर को राजा भोज इंटरनेशनल एयरपोर्ट ( तब बैरागढ़ हवाई अड्डा) लाया गया था। हजारों लोगों की भीड़ अपने नेता को देखने के लिए बेताब थी। बंगले में आईने के अंदर दर्शनार्थ के लिए उनके पार्थिव शरीर को रखा गया था। विधायक विश्राम गृह के सामने, विशाल जन समूह के बीच, उनको पंचतत्व में विलीन किया गया।
यह भी क्या राज्य है, कहीं सिर तो कहीं पैर
नये मध्यप्रदेश के गठन में महाकौशल और पं. रविशंकर शुक्ल की महती भूमिका थी। वे अजातशत्रु थे। उदार, विशाल हृदय, अपने विरोधियों के प्रति भी स्नेह और हमेशा बड़ा और अच्छा सोचना उनके जन्मजात गुण थे।
इसी बड़ी सोच ने उन्हें बड़ा मध्यप्रदेश बनाने की प्रेरणा दी। वरिष्ठ पत्रकार मायाराम सुरजन ने एक प्रसंग का उल्लेख किया था।
सुरजन जी नये मध्यप्रदेश को बेढंगा और अटपटा मानते थे। उन्होंने अपना बात शुक्ल जी के सामने रखी। कहा, यह भी क्या राज्य है कहीं पैर, कहीं सिर, गणेश जी-सा। शुक्ल जी ने शांत होकर कहा, ‘ठीक ही कहते हो, उन्हीं के समान गुण सम्पन्न भी।’
आधी रात को पट्टाभि सीतारमैया ने दिलाई थी शपथ
जब पं. रविशंकर शुक्ल 31 अक्टूबर को नागपुर से भोपाल पहुंचे तो उनका हजारों लोगों ने स्टेशन पर जोरदार स्वागत किया। आधी रात को नये मध्यप्रदेश के प्रथम राज्यपाल, डॉ. पट्टाभि बी. सीतारामय्या, को मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस हिदायत उल्लाह, ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
– इसके बाद पं. रविशंकर शुक्ल को मध्यप्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री की तथा उनके मंत्रिमण्डल के सदस्यों को शपथ दिलायी गयी। तख्तमल जैन, शम्भुनाथ शुक्ल, डॉ. शंकर दयाल शर्मा मंत्री के रूप में शामिल किये गये। शुक्ल जी को मिलाकर 12 केबिनेट मंत्री थे और 11 उपमंत्री।