डोकलाम और रोहिंग्या मुद्दे पर चर्चा करेगा संसदीय आयोग, राहुल भी इसके मेंबर

विदेश मामलों का एक संसदीय आयोग डोकलाम और रोहिंग्या मुद्दे पर चर्चा करेगा। इस आयोग के मेंबर्स में कांग्रेस के वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी भी शामिल हैं। कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अगुआई में इसकी मीटिंग अगले होने के आसार हैं

न्यूज एजेंसी के मुताबिक संसदीय आयोग के एक मेंबर ने बताया कि यह आयोग विदेश नीति से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर विचार करेगा। भारत-चीन रिश्ते में बॉर्डर विवाद और डोकलाम गतिरोध शामिल है जबकि लोकसभा बुलेटिन के मुताबिक म्यांमार से रिश्ते और रोहिंग्या मुद्दा आयोग के विचार-विमर्श के लिए चुने गए विषयों में से एक है।
– फॉरेन सेक्रेटरी एस जयशंकर ने इसी साल जुलाई में आयोग को डोकलाम गतिरोध के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी दी थी।

इस साल इन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करेगा आयोग
– संसदीय आयोग ने इस साल जिन प्रमुख मुद्दों को चर्चा के लिए चुना है, उनमें NRIs को वोटिंग का अधिकार, ब्रेग्जिट के चलते यूरोपियन यूनियन में संकट और भारत के लिए इसका मतलब, ई- पासपोर्ट जारी करने समेत पासपोर्ट जाने करने वाले सिस्टम की परफॉर्मेंस शामिल हैं।

कैसे हल हुआ डोकलाम विवाद?
– 16 जून को शुरू हुए डोकलाम विवाद का हल 73 दिनों बाद 28 अगस्त को सामने आया था। दोनों देशों के बीच डिप्लोमैटिक लेवल पर 38 मीटिंग्स के बाद भारत-चीन के बीच जवानों का ‘डिसइंगेजमेंट’ करने पर रजामंदी बनी। चीन ने बॉर्डर से रोड बनाने के इक्विपमेंट और बुलडोजर्स हटा लिए। भारत ने भी वहां से अपने सैनिकों को हटा लिया।

क्या था डोकलाम विवाद?
– चीन सिक्किम सेक्टर के डोकलाम इलाके में सड़क बना रहा था। यह घटना 16 जून को सामने आई थी। डोकलाम के पठार में ही चीन, सिक्किम और भूटान की सीमाएं मिलती हैं। भूटान और चीन इस इलाके पर दावा करते हैं। भारत भूटान का साथ देता है। भारत में यह इलाका डोकलाम और चीन में डोंगलाेंग कहलाता है।

– चीन ने 16 जून से यह सड़क बनानी शुरू की थी। भारत ने विरोध जताया तो चीन ने घुसपैठ कर दी थी। चीन ने भारत के दो बंकर तोड़ दिए थे।
– दरअसल, सिक्किम का मई 1975 में भारत में विलय हुआ था। चीन पहले तो सिक्किम को भारत का हिस्सा मानने से इनकार करता था। लेकिन 2003 में उसने सिक्किम को भारत के राज्य का दर्जा दे दिया। हालांकि, सिक्किम के कई इलाकों को वह अब भी अपना बताता है। जम्मू-कश्मीर से अरुणाचल प्रदेश के बीच 3488 km लंबी सीमा में से 220 km लंबी सीमा सिक्किम में पड़ती है।

क्या है रोहिंग्या मसला?
– भारत में रोहिंग्या का मसला तब गरमाया जब जुलाई में होम मिनिस्ट्री ने कहा कि अवैध अप्रवासी जैसे रोहिंग्या मुस्लिम सिक्युरिटी के बड़ी चुनौती हैं। हो सकता है कि इन्हें टेरर ग्रुप्स ने रिक्रूट किया हो। केंद्र ने राज्य सरकारों से इन अवैध अप्रवासियों की पहचान करने और देश से बाहर भेजने के निर्देश दिए। इसके लिए डिस्ट्रिक्ट लेवल पर टास्क फोर्स बनाए जाने के भी निर्देश दिए गए।

– राजनाथ सिंह ने कहा था, ”केंद्र सरकार अवैध शरणार्थियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी, लेकिन हमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों के साथ सहानुभूति भी है, जिन्होंने भारत में शरण ली है।” केंद्र सरकार ने गैरकानूनी तौर पर देश में रहने वाले रोहिंग्या मुसलमानों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। इसमें कहा है कि रोहिंग्या मुसलमानों के पाकिस्तानी आतंकियों से रिश्ते हैं। केंद्र में हलफनामे में यह भी कहा है कि रोहिंग्या मुस्लिम म्यांमार से भारत में गैरकानूनी तौर पर घुसे हैं। लिहाजा, वो इलीगल इमिग्रेंट्स हैं।

देश में कहां-कहां रोहिंग्या मुसलमान?
– सरकार ने 9 अगस्त को पार्लियामेंट में बताया था कि मौजूदा डाटा के हिसाब से भारत में अभी 14 हजार रोहिंग्या हैं, जो UNHRC से रजिस्टर्ड हैं। हालांकि, कुछ इनपुट्स ऐसे भी मिले हैं कि 40 हजार रोहिंग्या भारत में अवैध तरीके से रह रहे हैं। ये रोहिंग्या मुस्लिम जम्मू, हैदराबाद, हरियाणा, यूपी, दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान में रह रहे हैं।