दुनिया में भारत के बढ़ते कद का सबूत है, ICJ में दलवीर की जीत

नई दिल्ली। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में जस्टिस दलवीर भंडारी के दोबारा जज बनने को भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है. ICJ में जज की अंतिम सीट के लिए जस्टिस भंडारी का मुकाबला ब्रिटेन के उम्मीदवार जस्टिस क्रिस्टोफर ग्रीनवुड से था.

ब्रिटेन के मुकाबले भारत की प्रभावशाली जीत बदलती वैश्विक व्यवस्था (ग्लोबल ऑर्डर) का भी सबूत है. जस्टिस भंडारी ने अपनी जीत के बाद न्यूयॉर्क से बातचीत में कहा, ‘लोकतांत्रिक आवाज विशेषाधिकार प्राप्त समूह पर भारी साबित हुई.’

बता दें कि ICJ में 15 जज चुने जाने थे. 14 जजों का चुनाव हो चुका था. 15वें जज के लिए भारत की ओर से जस्टिस भंडारी और ब्रिटेन की तरफ से जस्टिस ग्रीनवुड उम्मीदवार थे. लेकिन आखिर वक्त में ब्रिटेन ने अपने उम्मीदवार को चुनाव से हटा लिया.

भारत को ये सीट जीतने के लिए ब्रिटेन से मुश्किल लड़ाई लड़नी पड़ी. ब्रिटेन को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों (P5) का समर्थन प्राप्त था जबकि संयुक्त राष्ट्र महासभा में अधिकतर सदस्य देश भारतीय उम्मीदवार के साथ खड़े थे.

जस्टिस भंडारी ने कहा कि संदेश साफ था कि भारत को दुनिया का समर्थन हासिल है और मैं समझता हूं जो नतीजा सामने आया, उसका मुख्य कारण भी यही रहा.

भारत का इस चुनाव में तर्क था कि उम्मीदवारों का चुनाव इस तरह होना चाहिए जिससे विश्व व्यवस्था में भारत की बढ़ती हैसियत की झलक मिले. जस्टिस भंडारी के पक्ष में एक और बात गई और वो थी उनका ICJ में ऐसे अकेले जज होना जिन्हें ‘कॉमन लॉ’ में महारत हासिल है.

नीदरलैंड के हेग में स्थित ICJ को वर्ल्ड कोर्ट या विश्व अदालत के नाम से भी जाना जाता है. जस्टिस भंडारी ने कहा, ‘हकीकत में ICJ एक विश्व अदालत है और यहां दुनिया के सभी प्रमुख कानूनी व्यवस्थाओं की नुमाइंदगी हो सकती है. इसलिए ICJ में कॉमन लॉ सिस्टम का पूरी तरह प्रतिनिधित्व होना चाहिए. इस गैप को भरने में भारत ही समर्थ था क्योंकि मौजूदा वक्त में ICJ के पास और कोई जज नहीं था जिसकी कॉमन लॉ में जानकारी होने की पृष्ठभूमि रही हो.

जस्टिस भंडारी ने कहा, ‘कोर्ट में कोई भी मामला आएगा, मैं उसे कॉमन लॉ का परिप्रेक्ष्य दूंगा. साथ ही कोशिश करूंगा और देखूंगा कि दुनिया भर में मेलजोल की भावना बनी रहे.’

ICJ कानून के अनुच्छेद 9 के मुताबिक 15 सीटों की नुमाइंदगी ‘दुनिया की अहम कानूनी व्यवस्थाओं और सभ्यताओं के मुख्य स्वरूपों’ से होनी चाहिए.

जस्टिस भंडारी ने भारत सरकार की कोशिशों की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘पूरी सरकार बड़ी मेहनत कर रही थी और इन असाधारण प्रयासों की वजह से ही ये नतीजा सामने आया. विदेश मंत्रालय को विशेष तौर पर श्रेय दिया जाना चाहिए.’

बता दें कि ICJ को पाकिस्तान में बंद कुलभूषण जाधव के मामले की सुनवाई अगले कुछ वर्षों में करनी है. ऐसे में जस्टिस भंडारी की इस जीत को भारत के लिए बहुत अहम माना जा रहा है. दूसरा पक्ष यानी पाकिस्तान पहले ही तदर्थ जज के तौर पर जस्टिस तस्सादुक हुसैन जिलानी को मनोनीत कर चुका है. ICJ का प्रक्रियागत ढांचा किसी पक्ष को तदर्थ जज को मनोनीत करने की अनुमति देता है अगर उस पक्ष की राष्ट्रीयता का कोई जज मौजूद नहीं हो. तदर्थ जज के पास वैसे ही अधिकार माने जाते हैं जैसे कि पीठासीन अन्य जजों के पास.

कुलभूषण जाधव संबंधी सवाल पर जस्टिस भंडारी ने कहा, ‘ये मामला अदालत के विचाराधीन है इसलिए इस पर मेरा कुछ कहना उचित नहीं होगा.’

ICJ में आने से पहले जस्टिस भंडारी भारत में उच्च न्यायिक व्यवस्था का 20 साल तक हिस्सा रहे. वे भारत के सुप्रीम कोर्ट में सीनियर जज रह चुके हैं.