भोपाल से सटे जंगल में बाघ का पहली बार इंसान पर हमला, वनकर्मी घायल

घायल वनकर्मी नारायण सिंह मीना ने बताया कि रोज की तरह वह शुक्रवार सुबह 9 बजे समरा रेंज की मेंडोरा बीट में पैदल गश्ती पर निकला था। तभी सामने से बाघ ने अचानक हमला कर दिया। बाघ का पंजा उसके बाएं पैर पर जांघ और घुटने के नीचे दो जगह लगा। घटना से वह घबरा गया और बचाओ-बचाओ कहकर शोर मचाने लगा। तब तक बाघ झाड़ियों की तरफ निकल गया। शोरगुल सुनकर पास में काम कर रहे मजदूर आए और उन्होंने डिप्टी रेंजर, नाकेदारों को सूचना देकर वनकर्मी को अस्पताल में भर्ती कराया।

आपबीती

लगा था नहीं बच पाऊंगा, लेकिन आज नई जिंदगी मिल गई

रोज की तरह मैं जंगल में झाड़ियों के बीच पगडंडियों से पहाड़ी की तरफ जा रहा था। अचानक सामने से बाघ आ गया। मैंने सोचा अब नहीं बच पाऊंगा। मेरे हाथ-पांव कांप रहे थे, तब तक बाघ ने मुझ पर हमला कर दिया। मैं चिल्लाने लगा तो वह जंगल की तरफ चला गया।

गनीमत रही कि वह अपने मुंह और पंजे से मुझे पकड़ नहीं पाया और मैं बच गया। आज मुझे नहीं जिंदगी मिली है। 25 साल से जंगल में बाघ की देखरेख कर रहा हूं, कई बार आमना-सामना हो चुका था, लेकिन ऐसी नौबत कभी नहीं बनी। आज के बाद कभी पैदल गश्ती पर जंगल नहीं जाऊंगा, चाहे भले ही नौकरी चली जाए। आज मेरी जान चली जाती तो मेरा परिवार अकेला हो जाता। (जैसा कि घायल वनकर्मी ने नईदुनिया को बताया।)

वनकर्मी को अकेला नहीं जाना था

वनकर्मी को पता था कि क्षेत्र में बाघ का मूवमेंट है। ऐसे में उसे अकेले गश्ती पर नहीं जाना था। वन विभाग की तरफ से घायल का इलाज कराया जा रहा है। बाघ की देखरेख बढ़ा दी है। अलग से गश्ती करने दो टीमें बनाई गईं हैं। – डॉ. एसपी तिवारी, वन संरक्षक, भोपाल

इस घटना से सीख लें विभाग

इस घटना से वन विभाग को सीख लेनी चाहिए। क्योंकि बाघ बाहर निकलकर हमला नहीं कर रहे हैं, बल्कि उनके क्षेत्र में बाहरी दबाव बढ़ने के कारण खुद की सुरक्षा में वे हमला कर रहे हैं। राजानी से सटे जंगल में अतिक्रमणकारियों को हटाकर बाघों की सुरक्षा बढ़ानी होगी। – आरके दीक्षित, वन्यप्राणी विशेषज्ञ