एम्स में सर्जरी कराने के लिए चार महीने की वेटिंग

भोपाल। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (एम्स) भोपाल अभी ठीक से शुरू भी नहीं हुआ है, इसके पहले ही यहां सर्जरी के लिए तीन से चार महीने की वेटिंग हो गई है। दिन-ब-दिन वेटिंग बढ़ती जा रही है। अलग-अलग विभागों में सर्जरी के लिए 30 से लेकर 150 मरीज तक वेटिंग में हैं। ऑपरेशन में देरी की मूल वजह सिर्फ तीन ऑपरेशन थियेटर (ओटी) होना है। जबकि कंसल्टेंट्स और ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या देखी जाए तो यहां अब तक कम से कम 10 ओटी शुरू हो जाने चाहिए थे। बता दें कि पूरे एम्स में कुल 24 ओटी हैं।

एम्स में 11 ऐसे विभाग हैं, जिनमें सर्जरी की जाती है, लेकिन ओटी सिर्फ तीन हैं। सोमवार से शुक्रवार के बीच पांच दिन सर्जरी की जाती है। यानी सभी विभागों को मिलाकर हफ्ते में सिर्फ 15 टेबल (ओटी) मिले पाते हैं। किसी भी विभाग में सर्जरी के लिए इमरजेंसी केस आने पर कंसल्टेंट्स को आपस में ओटी का दिन बदलना पड़ रहा है, जिससे गंभीर मरीजों की सर्जरी में देरी न हो।

न्यूरो सर्जरी – चार से पांच महीने की वेटिंग

विभाग में 110 मरीज सर्जरी के लिए वेटिंग में हैं। नए मरीजों को चार महीने बाद की तारीख मिल रही है। इसमें ब्रेन ट्यूमर, स्पाइन सर्जरी के मरीज भी हैं। इस विभाग में चार सर्जन हैं। सभी को मिलाकर महीने में छह दिन ओटी मिलती हैं। एक दिन में 3 या 4 सर्जरी हो पाती है। इस तरह महीने भर में अधिकतम 24 सर्जरी की जा सकती हैं। इस हिसाब से वेटिंग के सभी मरीजों की सर्जरी करने में चार महीने से भी ज्यादा वक्त लगेगा। हालांकि, यहां के न्यूरो सर्जन मरीजों की तीन तरह की वेटिंग लिस्ट तैयार कर रहे हैं। पहली इमरजेंसी, दूसरी कम इमरजेंसी व तीसरी सामान्य। इमरजेंसी मरीजों की सर्जरी जल्दी की जा रही है। इसके बाद कम इमरजेंसी वाले मरीजों को प्राथमिकता दी जाती है।

यूरोलॉली – 2 महीने की वेटिंग

इस विभाग में एकमात्र कंसल्टेंट डॉ. जैन हैं। उनका हफ्ते में सिर्फ एक दिन ऑपरेशन का दिन रहता है। एक दिन में 2-3 ऑपरेशन कर पाते हैं। मरीजों की वेटिंग को देखते हुए हफ्ते में कम से कम 3 दिन ऑपरेशन के होने चाहिए। यूरोलॉजी विभाग में इलाज के लिए पूरे प्रदेश से मरीज पहुंच रहे हैं। इस वजह से सर्जरी के लिए मरीजों की संख्याा बढ़ती जा रही है।

जनरल सर्जरी – 3 से 4 महीने की वेटिंग

जनरल सर्जरी विभाग में सर्जरी के लिए 3 से 4 महीने की वेटिंग चल रही है। करीब 60 मरीज वेटिंग लिस्ट में हैं। सर्जरी विभाग में आठ कंसल्टेंट हैं, लेकिन सभी को मिलाकर महीने में ऑपरेशन के सिर्फ 6 दिन हैं। मरीज व कंसल्टेंट्स की संख्या के लिहाज से हर दिन ऑपरेशन का दिन होना चाहिए। इनमें कई मरीज ऐसी भी हैं, जो काफी दूर के जिलों से आए हैं।

स्त्री एवं प्रसूति रोग – 3 महीने की वेटिंग

स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में चार कंसल्टेंट हैं। इनमें एक असिस्टेंट प्रोफेसर को छोड़ बाकी तीन का ऑपरेशन का दिन तय है। सभी को मिलाकर महीने में सिर्फ छह दिन सर्जरी करने का मौका मिल रहा है। एक दिन में दो सर्जरी की जाती हैं। इस तरह हर महीने अधिकतम 12 सर्जरी ही हो पा रही हैं। जरूतर हर दिन ऑपरेशन की है।

सोनोग्राफी, सीटी स्कैन और एमआरआई के लिए कम नहीं हो रही वेटिंग

एम्स में एमआरआई के लिए दो महीने, सीटी स्कैन के लिए 15 दिन और सोनोग्राफी के लिए पांच दिन की वेटिंग चल रही है। रेडियोडायग्नोसिस विभाग के डॉक्टरों ने कहा कि 3 टेसला एक नई मशीन दो महीने के भीतर लग जाएगी। इसके बाद वेटिंग काफी कम हो जाएगी। बता दें कि एक साल पहले यहां एमआरआई के लिए छह महीने की वेटिंग चल रही थी।

ऐसे कम हो सकती है वेटिंग

एम्स के डॉक्टरों ने कहा कि यह सुपर स्पेशलिटी अस्पताल है। रेफरल मरीजों की ही यहां पर सर्जरी होनी चाहिए। लेकिन, अभी ऐसी बंदिश नहीं है। लिहाजा साधारण सर्जरी के लिए भी मरीज पहुंच रहे हैं। जबकि ये सर्जरी मेडिकल कॉलेज या जिला अस्पताल में भी हो सकती है। डायरेक्टर डॉ. नितिन नागरकर का कहना है कि इसके लिए पॉलिसी बनाने की जरूरत है, जिससे बड़ी या रेफरल सर्जरी ही एम्स में हो। इस संस्थान का सबसे बेहतर उपयोग यही होगा।

सभी में रहती है वेटिंग

एम्स दिल्ली, पीजीआई समेत सभी बड़े अस्पतालों में सर्जरी के लिए वेटिंग रहती है। हमारे चार ओटी अभी चल रहे हैं। इसी महीने तीन और ओटी शुरू हो जाएंगे। पहली मंजिल पर चार और ओटी तैयार हो रहे हैं। इस तरह 11 ओटी शुरू हो जाएंगे। इसके बाद ओटी की दिक्कत नहीं रहेगी – डॉ.नितिन नागरकर, डायरेक्टर एम्स भोपाल