नये साल के जश्न को लेकर बीजेपी के दिग्गज मंत्रियों में ठनी

भोपाल। एक तरफ जहां नए साल का जश्न मनाए जाने की तैयारियां अपने अंतिम पड़ाव में हैं वहीं मध्यप्रदेश सरकार के दो मंत्री इस जश्न के खिलाफ नजर आ रहे हैं। इन मंत्रियों का कहना है कि सरकार को नए साल का जश्न मनाने से परहेज करना चाहिए और आधिकारिक कामकाम में हिंदू कैलेंडर के हिसाब से चलना चाहिए। वैसे तो सभी आधिकारिक कामकाज अंतरराष्ट्रीय कैलेंडर के हिसाब से ही चलते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के ये दो मंत्री अब इस कैलेंडर के हिसाब से नहीं चलना चाहते। मंत्रियों के इस बयान का कांग्रेस ने तीखी आलोचना के साथ विरोध किया है।

दरअसल मध्यप्रदेश सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव और उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया ने ये विचार दिया है। ग्वालियर में एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए जयभान सिंह पवैया ने कहा कि नए साल का जश्न मनाया जाना पश्चिमी अवधारणा है। हम भारतवासी हैं और हमें भारत की परम्पराओं का पालन करना चाहिए। पश्चिमी मान्यताओं से बचते हुए नए साल का जश्न मनाने का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि लोगों को अंग्रेजी कैलेन्डर का पालन नहीं करना चाहिए।

मंच पर पवैया के साथ गोपाल भार्गव भी मौजूद थे। भार्गव भी पश्चिमी मान्यताओं का विरोध करने से खुद को नहीं रोक पाए और यहां तक कह दिया कि मैं निजी रूप से नया साल नहीं मनाता। उन्होंने कहा कि हम पश्चिमी त्योहारों की नकल नहीं करते हैं और सिर्फ अपनी परम्परा का ही पालन करते हैं। हमारा नया साल हिंदू कैलेंडर के हिसाब से आता है। हम लोगों को अपनी परम्पराओं का सम्मान करना चाहिए न कि अंग्रेजों का। उनका कहना था कि मेरे पास जश्न मनाने के पैसे नहीं हैं, मेरे लिये सब एक जैसा है। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।

पीएम हैं सांताक्लॉज तो नया साल मनाने में दिक्कत क्या?
जो भी हो, बयान थोड़ा अजीब है, क्योंकि एक तरफ खुद भारतीय जनता पार्टी के आला नेता कुछ समय पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सांटाक्लॉज की उपाधि दे चुके हैं। 3 दिन पहले ही केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी न्यू इंडिया के लिए नए सांताक्लॉज हैं। उनका कहना था कि पीएम नरेंद्र मोदी न्यू इंडिया के लिए लगातार अच्छी खबरें ला रहे हैं।

अब ये तो सभी को पता है कि सांताक्लॉज हिंदू धर्म से ताल्लुक तो रखते नहीं हैं। तो अगर पार्टी के आला नेता पीएम को सांताक्लॉज मान सकते हैं फिर प्रदेश के दो मंत्रियो को नए साल के जश्न से वास्तव में क्या आपत्ति है यो तो वे ही जानें, लेकिन इस मुद्दे पर कांग्रेस की तरफ से बयान आना भी लाजिमी था, जो कि आ भी गया।

कांग्रेस बोली – फालतू की बात, सिर्फ बयानबाजी करती है बीजेपी
कांग्रेस का कहना है कि ये सारी बातें सिर्फ बयानबाजी का हिस्सा हैं, हकीकत इससे कोसों दूर है। राज्य कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा है कि बीजेपी नेताओं को ही कई बार अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से जन्मदिन मनाते देखा गया है। बड़े बड़े होटलों में जश्न मनाया जाता है तब इनका ये लॉजिक कहां चला जाता है। ये सिर्फ राजनीतिगत बयानबाजी है, जिसके जरिए बीजेपी नेता दूसरों पर हिंदू परम्परा थोपने की कोशिश कर रहे हैं।

इसके अलावा युवा कांग्रेस के अध्यक्ष कुणाल चौधरी का कहना है कि भाजपा के नेता कहते हैं नया साल मनाना बंद कर दो, वैलेंटाइन मनाना बंद कर दो, ऐसा नहीं हो सकता। इस देश में राम भाव लाना है तो प्रेम भाव से ही आएगा कट्टरता से नहीं आएगा। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा के नेता संविधान को, सद्भभावना को मिटाना चाहते हैं।

बहरहाल कांग्रेस की ओर से इस बयान का आलोचना करना विरोधी धर्म मान भी लें तो भी ये बात गौर करने वाली है कि मंत्री जी का बयान ऐसे वक्त में आया है, जहां राज्य में हाल ही में कथित तौर पर ईसाईयों पर हमला हुआ है, और ये अचानक हुआ बयान नहीं हैं। इन दो मंत्रियों के अलावा उज्जैन से बीजेपी विधायक मोहन यादव भी नए साल के जश्न का विरोध कर चुके हैं। यादव का कहना था कि देश में सारे पर्व हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से होने चाहिए और ये दुर्भाग्यपूर्वण है कि शराब पार्टी जैसी चीजों से नौजवान प्रभावित हो रहे हैं। उनका कहना था कि हमारे लिये गुडी पड़वा ही नया साल है।