GST काउंसिल की बैठक जारी, सस्ते हो सकते हैं ये निर्माणाधीन फ्लैट

दिल्ली में जीएसटी काउंसिल की 32वीं बैठक जारी है। बैठक में रियल एस्टेट और एमएसएमई को सेक्टर को बड़ी राहत मिल सकती है। जीएसटी काउंसिल की आज होने वाली बैठक में निर्माणाधीन फ्लैट और मकान पर लगने वाली जीएसटी दर को कम करके 5 फीसदी किया जा सकता है। वर्तमान में ऐसे फ्लैट पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत है। अगर ऐसा होता है तो निर्माणाधीन फ्लैट खरीदना सस्ता हो जाएगा।
बैठक में अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट-मकानों पर जीएसटी दर को घटाकर 5 फीसदी करने पर विचार हो सकता है। इससे पहले माल एवं सेवाकर (जीएसटी) परिषद ने 22 दिसंबर को हुई बैठक में 23 वस्तुओं और सेवाओं पर कर दर कम करने का फैसला किया था। इनमें सिनेमा टिकट, टेलीविजन और मानिटर स्क्रीन, पावर बैंक आदि शामिल थे।
मौजूदा स्थिति
वर्तमान में रीयल एस्टेट संपत्तियों के उन खरीदारों पर जीएसटी नहीं लगता है, जिन्हें बिक्री के समय कार्य-पूर्ण होने का प्रमाणपत्र मिल चुका है। वहीं, जिसे प्रोजेक्ट को कार्यपूर्ण होने का प्रमाण पत्र नहीं मिला है उसमें फ्लैट खरीदने पर खरीदार को 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी चुकाना होता है। गौरतलब है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी परिषद की पिछली बैठक के बाद कहा था कि अगली बैठक में आवासीय संपत्तियों के लिए कर की दर को तर्कसंगत बनाने और एमएसएमई के लिए छूट सीमा को मौजूदा 20 लाख रुपये से बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बैठक में निर्माणाधीन प्रॉपर्टी पर जीएसटी की दर घटाने का फैसला हो सकता है।
खरीदारों को नहीं मिल रहा था लाभ
जीएसटी लागू होने के बाद डेवलपर्स पर यह आरोप लगता रहा है कि वे उपभोक्ताओं को इनपुट क्रेडिट का लाभ नहीं दे रहे हैं। डेवलपर्स निर्माण में इस्तेमाल हो रही वस्तुओं के लिए नकदी में भुगतान कर रहे हैं, जिसके कारण उपभोक्ताओं को इस पर मिलने वाला लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके देखते हुए भी जीएसटी परिषद ने जीएसटी दर घटाकर पांच प्रतिशत करने पर विचार कर सकता है। .
छोटे आपूर्तिकर्ताओं को भी राहत देने की आपूति
सरकारी अधिकारी के मुताबिक, जीएसटी परिषद की अगली बैठक में देशभर के छोटे आपूर्तिकर्ताओं को बड़ी राहत मिल सकती है। सरकार छोटे आपूर्तिकर्ताओं को कंपोजीशन स्कीम में ला सकती है। इसके अलावा एमएसएमई को भी राहत मिलेगी। अभी 20 लाख रुपये तक के कारोबार करने वाले कारोबारियों को जीएसटी से छूट दी गई है। अगली बैठक में परिषद एमएसएमई के लिए 75 लाख रुपये तक की सीमा तय करने पर विचार कर सकती है। लॉटरी पर जीएसटी दर तय करने और आपदा उपकर लगाने पर भी विचार किया जा सकता है।
प्रॉपर्टी बाजार को मिलेगा प्रोत्साहन
प्रॉपर्टी एक्सपर्ट प्रदीप मिश्रा ने बताया कि जीएसटी लागू होने के बाद से निर्माणाधीन फ्लैट की बिक्री काफी कम हो गई थी। इसकी वजह तैयार फ्लैट जीएसटी के दायरे से बाहर होना और निर्माणाधीन फ्लैट पर 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाना था। इसलिए घर खरीदार बन कर तैयार घर खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं। जीएसटी क्रियान्वयन की वजह से घरों की बिक्री घटी है। साल 2018 में नए घरों की आपूर्ति पिछले साल की तुलना में 22 प्रतिशत घटकर 1.9 लाख यूनिट्स रह गई।
इस तरह मिलेगा फायदा
अगर अभी कोई खरीदार चार हजार रुपये प्रति वर्ग फीट की दर से फ्लैट खरीदता है और 12% की दर से जीएसटी भुगतान करता है तो 480 रुपये प्रति वर्ग फीट कर चुकाना होता है। वही 4 हजार रुपये प्रति वर्ग फीट के फ्लैट पर 5% की दर से जीएसटी चुकाने पर 200 रुपये चुकाने होंगे। इस तरह 280 रुपये की बचत होगी।