गुजरात: भावनगर में कांग्रेस के सामने तीन दशक के सूखे से उबरने की चुनौती

भावनगर लोकसभा सीट सौराष्ट्र क्षेत्र में आती है. तटीय इलाके में आने वाले भावनगर की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से इंफ्रास्ट्रक्चर और कपास पर आधारित है. पिछले सात चुनावों से लगातार यहां भारतीय जनता पार्टी जीत रही है. 2014 में पहली बार इस सीट से किसी महिला ने जीत दर्ज की थी. ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनाव में क्या बीजेपी अपने विजयी रथ को बरकरार रख पाएगी या फिर सौराष्ट्र और कच्छ के इस क्षेत्र में 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को परास्त करने वाली कांग्रेस लोकसभा चुनाव में भी समीकरण बदल पाएगी, इस पर सबकी नजर है.

राजनीतिक पृष्ठभूमि
भावनगर सीट पर पहला चुनाव 1962 में हुआ था और अब तक कुल 15 बार यहां चुनाव हो चुके हैं. इनमें 5 बार कांग्रेस को जीत मिली है और पिछले सात चुनाव लगातार बीजेपी ने जीते हैं. 1962 में हुआ पहला चुनाव प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने जीता था. प्रजा सोशलिस्ट पार्टी सोशलिस्ट पार्टी और किसान मजदूर प्रजा से मिलकर बनी थी, जिसके नेता जयप्रकाश नारायण, आचार्य नरेंद्र देव और जे.बी कृपलानी थे. 1952 में किसान मजदूर प्रजा और सोशलिस्ट पार्टी का विलय हुआ था. इसके बाद दो चुनाव कांग्रेस ने जीते, लेकिन 1971 का चुनाव कांग्रेस के दूसरे घटक नेशनल कांग्रेस (O) ने जीता. पंडित जवाहरलाल नेहरू की मौत के बाद कांग्रेस में दो फाड़ हो गए थे.

कांग्रेस ने 1967 उपचुनाव, 1967 आम चुनाव, 1980, 1984, 1989 के आम चुनाव में जीत दर्ज की. इसके बाद 1991 से लगातार 1996, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में भारतीय जनता पार्टी को यहां जीत मिली. 2014 से पहले बीजेपी और कांग्रेस के बीच जीत का अंतर दस हजार वोटों के आसपास कहा है, लेकिन 2014 में भारतीबेन ने कांग्रेस के प्रतिद्वंदी जीनाभाई प्रवीणभाई राठौड़ को आधे से भी ज्यादा अंतर से हराया था.

सीट का सामाजिक ताना-बाना
2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां की कुल आबादी 23,10,078 है. इसमें से 55 फीसदी आबादी ग्रामीण और 45 फीसदी शहरी है. अनुसूचित जाति (SC) की जनसंख्या 5.66 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति (ST) 0.34 प्रतिशत है. भावनगर जिले में 90 प्रतिशत से ज्यादा हिंदू आबादी है. जबकि मुस्लिम करीब 8 फीसदी हैं.

2018 की लिस्ट के मुताबिक, यहां वोटरों की कुल संख्या 17,31,901 है. जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल मतदाता 15,94,531 थे. इनमें से पुरुष मतदाता 8,34,571 और महिला मतदाता 7,59,960 थे. चुनाव में 5,19,525 पुरुष और 3,97,877 महिलाओं ने अपने मत का इस्तेमाल किया था.

सात विधानसभा सीट
भावनगर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत सात विधानसभा सीट आती हैं. इनमें तलाजा, भावनगर पूर्व, भावनगर पश्चिम, बोटाड, पालीताना, भावनगर ग्रामीण और गधेड़ा है. गधेड़ा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, बाकी सभी सीट सामान्य हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में तलाजा से बीजेपी, पालीताना से बीजेपी, भावनगर ग्रामीण से बीजेपी, भावनगर पूर्व से बीजेपी, भावनगर पश्चिम से बीजेपी, गधेड़ा से कांग्रेस और बोटाड से बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. यानी सात में 6 सीटें बीजेपी के खाते में गई थीं और कांग्रेस सिर्फ सुरक्षित सीट गधेड़ा से जीत पाई थी. इस इलाके में बीजेपी के कई बड़े नेता आते हैं, इनमें भावनगर पश्चिम से विधायक जीतूभाई वघानी और बोटाड से सौरभ पटेल का नाम शामिल है.

2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे
डॉ भारतीबेन, बीजेपी- 549,529 वोट (59.9%)

जीनाभाई प्रवीणभाई राठौड़, कांग्रेस- 254,041 (27.7%)

डॉ कनुभाई, AAP- 49,540 (5.4% )

2014 चुनाव का वोटिंग पैटर्न

कुल मतदाता- 15,94,531

पुरुष मतदाता- 8,34,571

महिला मतदाता- 7,59,960

मतदान- 9,17,402 (57.5%)

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

डॉ भारतीबेन शियाल 54 साल की हैं और उन्होंने बीएएमएस किया है. पेशे से डॉक्टर भारतीबेन 2014 में वो पहली बार सांसद निर्वाचित हुईं. इससे पहले वो दो बार भावनगर की जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं. 2012 के विधानसभा चुनाव में वह पहली बार विधायक बनीं और 2014 के लोकसभा चुनाव का टिकट मिलने पर संसद पहुंच गईं.

लोकसभा में उनकी उपस्थिती 94 फीसदी रही है. जबकि उन्होंने 33 बार संसद की बहस में हिस्सा लिया है. सवाल पूछने में भी उनका प्रदर्शन औसत से कम रहा है और उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कुल 179 सवाल पूछे हैं.

डॉ भारतीबेन ने अपनी सांसद निधि से लगभग 90 फीसदी पैसा खर्च कर दिया. उनकी निधि से कुल 19.56 करोड़ रुपये आवंटित हुए, इनमें से 15.97 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए, जबकि 3.59 करोड़ रुपये बाकी रह गए. एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीबेन की कुल संपत्ति 77 लाख रुपये की है. इसमें से 40 लाख की चल संपत्ति है, जबकि 37 लाख रुपये की अचल संपत्ति है.