लोकसभा चुनाव 2019: महाराष्ट्र-तमिलनाडु में गठबंधन के बाद अब केरल-आंध्र पर बीजेपी की नजर

भारतीय जनता पार्टी के आंतरिक आकलन में हिंदी क्षेत्र में 2019 में उन सीटों पर बेहद कड़ा मुकाबला होने वाला है जहां पर उन्होंने 2014 में क्लीन स्वीप किया था। ऐसे में पार्टी अपनी सीटों के नुकसान की भरपाई के लिए पश्चिम पर जोर दे रही है। पार्टी के सीनियर नेता ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी अब उन राज्यों में नए साझेदारों के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन करने जा रही है जहां पर इनका अपना अब तक कोई खास जनाधार नहीं बन पाया है।

यह वजह है कि बिहार, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में गठबंधन के स्वरूप तय करने के बाद उत्तर-पूर्व में मदभेद दूर करने के साथ ही केरल और आंध्र प्रदेश में चुनाव पूर्व संभावित गठबंधन पर पार्टी फोकस करने जा रही है। बीजेपी नेता ने बताया- “उत्तर प्रदेश और बिहार में एकजुट विपक्ष से कड़ा मुकाबला होने जा रहा है। हमें गठबंधन करने की जरूरत है।”

उन्होंने आगे कहा- “हमें जनता दल (यूनाइटेड) के लिए जगह छोड़ने और शिवसेना के साथ मतभेद दूर करने के अलावा तमिलनाडु में अपनी महत्वाकांक्षा को भी देखने की जरूरत है ताकि गठबधन करने के बाद सत्ता में वापसी में मदद मिल सके।”

बिहार में डील पुरानी है हालांकि दिसंबर 2018 में आकर अटक गई थी। महाराष्ट्र में शिवसेना और तमिलनाडु में एआईएडीएमके के साथ इस हफ्ते की शुरुआत में डील पर फैसला कर लिया गया था। बीजेपी का अब फोकस अन्य राज्यों पर है।

महाराष्ट्र का क्या है समीकरण

महाराष्ट्र में जहां भाजपा के सामने अपनी सीटें बरकरार रखने की चुनौती है, वहीं तमिलनाडु में भी एक मजबूत साझेदार के साथ पाने को बहुत कुछ है।

महाराष्ट्र के चुनावी समीकरण

भाजपा – शिवसेना गठबंधन ( एनडीए)
48 लोकसभा सीट है महाराष्ट्र में लोकसभा की
25 पर इनमें भाजपा और 23 पर शिवसेना लड़ेगी
पिछली बार एनडीए में शामिल स्वाभिमान पक्ष अब गठबंधन में नहीं
एनडीए की सहयोगी रिपब्लिकन पार्टी (आठवले) एक सीट मांग रही है।
अगर उसे सीट दी जाती है तो वह भाजपा के हिस्से से जाएगी

2014: एनडीए को भारी सफलता
24 सीटों पर चुनाव लड़ी भाजपा, 23 पर जीत दर्ज
20 सीटों पर शिवसेना लड़ी, 18 पर सफलता मिली
02 सीट पर चुनाव लड़ा स्वाभिमान पक्ष ने, एक पर जीत
2009 के मुकाबले भाजपा को 14 व शिवसेना को सात सीटें ज्यादा मिली

कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन (यूपीए)
कांग्रेस और एनसीपी साथ लड़ेगी। लेकिन सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि सीटों का बंटवारा भी मोटे तौर पर पिछले चुनाव की तरह ही रहेगा। पिछली बार कांग्रेस ने 26 एनसीपी ने 21 सीटों पर चुनाव लड़ा था। एक सीट महाराष्ट्र विकास अघाड़ी को दी थी।

2014: यूपीए को झटका
26 में से 02 सीट ही जीत सकी थी कांग्रेस, 16 सीट का नुकसान
21 में से 04 सीटें ही जीत सकी एनसीपी, 04 सीटों का नुकसान
01 मात्र सीट महाराष्ट्र विकास अघाड़ी हार गई

समीकरण
महाराष्ट्र में 2014 में मोदी लहर में भाजपा व शिवसेना को पूरे राज्य में भारी सफलता मिली थी। कांग्रेस व एनसीपी समेत विभिन्न दलों के परंपरागत गढ़ टूट गए थे। एनसीपी की चार सीटों में दो सीटें तो शरद पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले ने जीती थी।
2019 में समीकरण बदले हैं। 2014 में भी छह माह बाद हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा व शिवसेना का गठबंधन टूट गया था और राज्य में भाजपा ने पहली बार सरकार बनाई है और शिवसेना बाद में उसकी जूनियर पार्टनर बनी। पूरे पांच साल तक भाजपा व शिवसेना में जमकर शब्दबाण चले। अब फिर से दोनों दलों में चुनाव के समय तालमेल हुआ है। दूसरी तरफ कांग्रेस व एनसीपी नेता बिना किसी राजनीतिक मतभेद के जमीन तैयार करने में जुटे रहे।

तमिलनाडु के चुनावी समीकरण
तमिलनाडु में भी दो बड़े गठबंधनों के बीच लड़ाई तय हो गई है। ऐसे में मुकाबला कांटे का होगा। राज्य के दोनों प्रमुख दलों द्रमुक व अन्नाद्रमुक ने बीते पांच साल में अपने शीर्ष नेताओं करुणानिधि व जयललिता को खोया है। दोनों दलों के नए नेतृत्व की इन चुनावों में परीक्षा होनी है।

पिछली बार भाजपा को कोई बड़ा सहयोगी नहीं मिला था तब उसने पीएमके, डीएमडीके समेत छह छोटे दलों के साथ मिलकर मोर्चा बनाना था, जिसमें दो सीटें (एक भाजपा व एक पीएमके) को मिली थी। अन्नाद्रमुक ने अलग सभी सीटों पर लड़कर 39 में से 37 सीटें जीतकर सूपड़ा साफ कर दिया था। कांग्रेस भी अलग लड़ी थी और उसे भी कोई सीट नहीं मिली थी। इसी तरह से द्रमुक के गठबंधन को भी शून्य ही मिला था।